मुक्तक
प्रीत दिलों में भरती हूँ मैं सब कहते फनकारी है,
सुख-दुःख से हँसकर मिलने की मैंने की तैयारी है,
चाहे गलत हों चाहे सही हों पर जज्बात ये मेरे हैं,
ताज न पहना और किसी का ये मेरी खुद्दारी है।
प्रीत दिलों में भरती हूँ मैं सब कहते फनकारी है,
सुख-दुःख से हँसकर मिलने की मैंने की तैयारी है,
चाहे गलत हों चाहे सही हों पर जज्बात ये मेरे हैं,
ताज न पहना और किसी का ये मेरी खुद्दारी है।