Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
5 Dec 2018 · 3 min read

पत्नी के नाम पत्र

*******************************
❆ पत्र – पत्नी के नाम
❆ विषय – हमसफ़र (पति/पत्नी/प्रेमी/प्रेमिका)
❆ तिथि – 05 दिसम्बर 2018
❆ वार – बुधवार
.
▼ #पत्र

.#हमसफ़र(पत्नी)के नाम

हे प्राणसखे जया,

जैसा कि तुम्हें पता है हम तो बने ही एक दूसरे के लिए है। जो ईश कृपा से हमारे नामों से भी स्पष्ट ही प्रतीत होता है; तूम जया मैं अजय.. हिंदी हो अथवा ऑग्ल भाषा.. संयोगवश दोनों में ही बैगर किसी खास बदलाव के.. हिंदी में मेरे नाम का ‘अ’ ‘जय’ का अनुवर्ती होते ही तुम्हारा नाम बन जाता है… ठीक इसीप्रकार.. ऑग्ल भाषा में तुम्हारे नाम का अनुवर्ती ‘ए’ आगे लगते ही मेरा नाम हो जाता है.. तथा भगवान की महती कृपा से ऐसे ही ‘अविनाभूत’ हम दोनों व हमारा जीवन भी है।

समस्त सांस्कृतिक देशीय मामलों में मैं तुम्हारा अनुगामी हूँ, जो कि शास्त्रानुसार भी आवश्यक व ग्राह्य है… और पाश्चात्य परंपरा निर्वहन में बिल्कुल उपयुक्त है।

प्रसंगवश यह बतला देना यहाँ उचित होगा कि आज तुम मुझसे शारीरिकरुप से दूर भी हो , अवसर भी है ; रही याद की बात तो तुम से बेहतर कौन जानता है कि याद तो उसे किया जाता है जिसे किसी भी श्वास में किंचित मात्र भी भूला हो कभी ???

तुम पूछती रहती हो न कि #साहित्य_पीडिया में मैं क्यों इतना मशगूल रहता हूँ, बताना चाहता हूँ कि उसी के एक आज के विषयानुसार तुम्हें यह पत्र प्रेषण का सुअवसर मिला है… है ना सुखद संयोग !!
कहा था न मुझे कभी आँसू पर भी कुछ लिखूँ…एक सप्ताह पुरानी ही तो बात है.. अभी स्मरण हो आई..आँसुओं का बेचारगी या लाचारी से लोग नाता जोड़ देते हैं.. गलत वह भी नहीं.. किन्तु… ये तो संवेदना.. भावना से गहरा रिश्ता रखनें वाली बहुत ही कीमती प्रदत्त वस्तु है जो दीनता,हर्ष, विरह,प्रेम, भक्ति, विरक्ति यहाँ तक की क्रोध इत्यादि सभी भावों के प्रदर्शन की सशक्त स्वाभाविक शारिरिक प्रतिक्रिया है.. उद्गार प्रकटीकरण कि..!!

तुम्हारे आग्रह पर बौद्धिक क्षमतानुसार पूर्ण निष्ठा से सिर्फ तुम्हीं को समर्पित कुछ दोहों की बानगी नीचे प्रस्तुत है:-

१. (आँसू की ताकत)

मार, तेज, तलवार से,है बस, आँख का जल।

हो आँसू ,रक्त का ही,बल अपनत्व, केवल।।

२. (बाढ़)

जल ही जल जलमग्न हुआ,धुला नयन काजल।

घर, द्वार, सब छूटे हैं, तभी तो नयन सजल।।

३. (सूखा)

कहीं नहीं बूंद जल की, तरसें, प्यासे, लोग।

नयन बरसते तब थमें,जब हो वर्षा योग।।

४. (प्रेम)

आँखें तुम्हारी झरे, ऐसी कभी न चाह।

अमन,चैन हो हृदय में, करता प्रेम अथाह।।

५. (खुशी के आँसू)

छिटक बूंद गिर आँख से,बनी है कोहिनूर।

ऐसी खुशियों के लिए, तरस, हमेशा जरुर।।

६. (विरह)

याद सजन को जब किया,जुबाँ हो गई बंद।

लाख यत्न किये फिर भी, आँख रुकी ना वृंद।।

७. (वेदना)

एक आँसू गरीब का,निकले देता हाय।

काम-तमाम, फिर समझो,उसका नहीं उपाय।

८. (भक्ति)

प्रेम मग्न प्रभु भक्ति में,लगा रहे दिन रात।

सहज प्रेमाश्रुपात हो,यह दुर्लभ, सौगात।।

९. (वात्सल्य)

माँ यशोदा चकित हुई,देखे आँसू ‘गाल’।

विहंस उर लिपटा लियो,नन्हों सो गोपाल।।

१०. (विरक्ति)

यह विश्व माया नगरी ,दुःखों का भ्रम जाल।

वीतराग आँसू बहा,समझा विधि की चाल।।

अपनी प्रतिक्रिया शीघ्रातिशीघ्र स्वभावानुसार तुम अवश्य दोगी…दूरभाष पर… उसी की प्रतीक्षा में.. तुम्हारा पूरक(अजय)..शेष भेंट होगी तब… सभी को यथायोग्य..इती!!

#स्वरचित_मौलिक_सर्वाधिकार_सुरक्षित*
___________________
✍ अजय कुमार पारीक’अकिंचन’
☛ जयपुर (राजस्थान)
.Ajaikumar Pareek.
.__________________

Loading...