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2 Dec 2018 · 1 min read

मुक्तक

29-11-प्रथम क्रंदन
एक और शिशिर बीत गया
मन कुछ और रीत गया
पर,जवां होने का गुरुर
कायम है बदस्तूर
अभी कहाँ यारो,
अभी तो अर्धशतक
है तीन कोस दूर।
-©नवल किशोर सिंह

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