Poem
बोल गांम के
सांची सांची कहदूं के
मुंह पे सबके कहदूं के
पनघट पे बाल्टी धर दूं के
उस पे नेज्जू जड़ दयूं के
सुत्ता कुआं जगा दयूं के
पैहंडा,बिलोनी,झाकरी धर दूं के
मीठा मीठा पाणी भर दूं के
चुंदड़ चांदड़ घोटा घाटा जड़ दूं के
उस में नया रंग भर दूं के
दामण से लामण अलग कर दूं के
पल्ले अलग अलग गिण दूं के
रमझौल टूम ठेकरी गळ की गळसरी कह दूं के
आभूषण लुगाई लोग के लिख दूं के
पाती कंठी बोरळा हथफूल माथे टिक्का सजा दूं के
तागड़ी कमर घुंघरू उसपे लटका दूं के
चोटी में फूल सजा दूं के
नजर का टिक्का कान के पिछे लगा दूं के
पैर की पायल जूती मड़कन ल्या दूं के
खान मनजीत तू के लिखे घर परिवार लिख दूं के
सारी राज्जी होवे पहर के वा छन पछेली लिख दूं के ।
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड तह गोहाना सोनीपत