people leave you when you actually need them, यार हम लोग उसी
people leave you when you actually need them, यार हम लोग उसी वक्त उस इंसान को जज करने लगते है सलाहें ज्ञान देने लगते है जब उसको वास्तविक में ज्ञान की नहीं आपके साथ आपके सहारे की जरूरत है उस वक्त वो आपके ज्ञान के लिए नहीं साथ के लिए तरस रहा होता है शायद यही जज करने या ज्ञान देने की आदत ने मानसिक तनाव को प्रवृति को आदि किया है।आज का वक्त ऐसा है जहां लोगों इतने हताश निराश तनाव में है जीने की इच्छा कम मरने की जल्दी ज्यादा है क्योंकि वो जिस समाज या परिवेश में रह रहे है वह सिर्फ ज्ञान देना ,नीचा दिखाना ,criticize करना ओर बेवक्त की सलाहें देकर खुद को बेहतर होशियार साबित करना महत्वपूर्ण समझते है ना कि इंसान को सुनना समझना और उसको सहारा देना। शायद सुसाइड कर रहे है लोग स्पेशियली युवा उसके पीछे परिवार, परिवेश का बहुत बड़ा हाथ है। क्योंकि युवा अकेले होने से नहीं परेशान है उसको डरा रहा है अकेलापन खाली पन सब के साथ ओर सबके आस पास है होने के बाद भी। ओर परिवार और परिवेश समाज उस अकेलेपन को सुन नहीं पा रहा ओर ना खाली पन को भर पा रहा। वो इंसान इतना रिक्त हो गया है कि मरना उत्तम समझ रहा है।