Language: Hindi
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पिता
Manisha Manjari
मौन में गूंजते शब्द
Manisha Manjari
ठोकरों ने गिराया ऐसा, कि चलना सीखा दिया।
Manisha Manjari
इस दर्द को यदि भूला दिया, तो शब्द कहाँ से लाऊँगी।
Manisha Manjari
ख़्वाहिश है की फिर तुझसे मुलाक़ात ना हो, राहें हमारी टकराएं,ऐसी कोई बात ना हो।
Manisha Manjari
अपने नाम का भी एक पन्ना, ज़िन्दगी की सौग़ात कर आते हैं।
Manisha Manjari
हाथों को मंदिर में नहीं, मरघट में जोड़ गयी वो।
Manisha Manjari
जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला अब क़िस्मत, से टकराने लगा है।
Manisha Manjari
कोरा संदेश
Manisha Manjari
किसी ने कहा, पीड़ा को स्पर्श करना बंद कर पीड़ा कम जायेगी।
Manisha Manjari
मैं टूटता हुआ सितारा हूँ, जो तेरी ख़्वाहिशें पूरी कर जाए।
Manisha Manjari
रावणदहन
Manisha Manjari
ये अनुभवों की उपलब्धियां हीं तो, ज़िंदगी को सजातीं हैं।
Manisha Manjari
ये हमारे कलम की स्याही, बेपरवाहगी से भी चुराती है, फिर नये शब्दों का सृजन कर, हमारे ज़हन को सजा जाती है।
Manisha Manjari
ये ज़िन्दगी जाने क्यों ऐसी सज़ा देती है।
Manisha Manjari
आंधियां आती हैं सबके हिस्से में, ये तथ्य तू कैसे भुलाता है?
Manisha Manjari
असफ़लताओं के गाँव में, कोशिशों का कारवां सफ़ल होता है।
Manisha Manjari
अनकहे शब्द बहुत कुछ कह कर जाते हैं।
Manisha Manjari
काल के चक्रों ने भी, ऐसे यथार्थ दिखाए हैं।
Manisha Manjari
कैसे तय करें, उसके त्याग की परिपाटी, जो हाथों की लक़ीरें तक बाँट चली।
Manisha Manjari
इन्तज़ार
Manisha Manjari
शवदाह
Manisha Manjari
नदी सदृश जीवन
Manisha Manjari
शब्दों के एहसास गुम से जाते हैं।
Manisha Manjari
सागर ने लहरों से की है ये शिकायत।
Manisha Manjari
जब हवाएँ तेरे शहर से होकर आती हैं।
Manisha Manjari
जगदम्बा के स्वागत में आँखें बिछायेंगे।
Manisha Manjari
कुछ पन्ने बेवज़ह हीं आँखों के आगे खुल जाते हैं।
Manisha Manjari
दूरी रह ना सकी, उसकी नए आयामों के द्वारों से।
Manisha Manjari
जानती हूँ मैं की हर बार तुझे लौट कर आना है, पर बता कर जाया कर, तेरी फ़िक्र पर हमें भी अपना हक़ आजमाना है।
Manisha Manjari
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
Manisha Manjari
सार्थक शब्दों के निरर्थक अर्थ
Manisha Manjari
आज असंवेदनाओं का संसार देखा।
Manisha Manjari
ठंडे पड़ चुके ये रिश्ते।
Manisha Manjari
क्यों करूँ नफरत मैं इस अंधेरी रात से।
Manisha Manjari
खामोशियों ने हीं शब्दों से संवारा है मुझे।
Manisha Manjari
जीवन क्षणभंगुरता का मर्म समझने में निकल जाती है।
Manisha Manjari
रेत पर नाम लिख मैं इरादों को सहला आयी।
Manisha Manjari
लाखों सवाल करता वो मौन।
Manisha Manjari
ये उम्मीद की रौशनी, बुझे दीपों को रौशन कर जातीं हैं।
Manisha Manjari
उसकी आँखों के दर्द ने मुझे, अपने अतीत का अक्स दिखाया है।
Manisha Manjari
हिम्मत से हौसलों की, वो उड़ान बन गया।
Manisha Manjari
ये दुनिया इश्क़ को, अनगिनत नामों से बुलाती है, उसकी पाकीज़गी के फ़ैसले, भी खुद हीं सुना जाती है।
Manisha Manjari
जज़्बातों की धुंध, जब दिलों को देगा देती है, मेरे कलम की क़िस्मत को, शब्दों की दुआ देती है।
Manisha Manjari
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है।
Manisha Manjari
हम सजदे में कंकरों की ख़्वाहिश रखते हैं, और जिंदगी सितारे हमारे नाम लिख कर जाती है।
Manisha Manjari
आदतों में तेरी ढलते-ढलते, बिछड़न शोहबत से खुद की हो गयी।
Manisha Manjari
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
Manisha Manjari
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
Manisha Manjari
ये तलाश सत्य की।
Manisha Manjari