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25 Sep 2023 · 1 min read

Kavita

तू मुक़द्दस है मेरे लिये
ज़िन्दगी तुझ को सलाम

अस्सलामो अलैकुम! !
दिल नशीँ राम! राम!

उन्स है इन्सान हूँ
है अमन अपना पयाम

फ़र्क क्यो पड़ता है यारो
चन्द्र हो या चान्द नाम

है सनातन शाशवत् जब
और यही पूर्ण विराम!!

आयतेँ हों श्लोक हो या
संस्तुति उसका ।ही गान

आराधना तेरा करम है
स्वीकारना उसका है काम

सत्य के साथी बनो तुम
झूठ के ना जाओ धाम

उसके सिवा दुनिया में क्या
सुबहा क्या और क्या है शाम

है समन्दर जैसे ठहरा
है हदों में आसमां

ये हवाये जैसे शीतल
बूंदो का ये कारवां

अग्नि पावक जैसे पावन
आकाश भित्ती का मक़ाम

मेरा मन उसको पुकारे
लम्हा लम्हा गाम गाम

अस्सलामोअलैकुम
दिल नशीं है राम राम!

शहाबुद्दीन”क़न्नौजी

Language: Hindi
165 Views
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