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3 Aug 2022 · 1 min read

Kavita

अकेला छोड़कर मुझको कहां घनश्याम जाते हो।
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अकेला छोड़कर मुझको कहां घनश्याम जाते हो।
तड़प जाती अकेले में नही तुम क्यों बताते हो।

इरादा क्या तुम्हारा है, समझ मुझको नही आता,
लगाकर आग चाहत की,भलाअब क्यों भुलाते हो।

लिया विश्वास में पहले, किया छल छलिया है तूने,
मेरी चाहत नही दिखती,मुझे अब क्यों रुलाते हो।

शिकायत अब करूं कैसे,तुम्हें अपना जो माना है,
सभी है देखकर हंसते ,हंसी अब क्यों कराते हो।

सुना विश्राम मिलता है, तुम्हें दिल में बसाने पर,
मगर दिलबर मुहब्बत में मुझे क्यों आजमाते हो।

मैं पीछे जा नही सकती,साथ चलने में अड़चन है,
निभालो आ”सुनीता”को भलाअब क्यों सताते हो।

सुनीता गुप्ता कानपुर

Language: Hindi
244 Views
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