Kanha prem
सुन ओ साँवरे,
राधा संग ईशक रचाया
रुकमणी संग व्याह
मेँ राह तेरी देख रही
लेके मेरा प्यार
मीरा संग प्रित निभाई
गोपीयों संग क्रीड़ा
क्या तुझे नहीं दिखी
मेरे दिल की पीडा़।
पांडव संग साथ निभाया
अर्जुन का बना सारथी
मैंने तो बस तेरा मोह लगाया
क्यों बन गयी अपराधी।
जिस पर तेरी कृपा बरसी
वो जग से न्यारा
तू मेरा तारण हार है
मोहे लागे जग से भी प्यारा।
है ईशक सीद्दत से तुझ से
बीते चाहे कितनी मुद्दत ?
यह रूह तभी रुखसत होगी
जब दिखे तेरी सुरत।
सोनु सुगंध