II रोशनी के लिए II
जलाओ दिए,दीवाली ,दुनिया के लिए l
जिंदगी जल रही ,रोशनी के लिएll
तेल बाती जली ,तो उजाला हुआ l
मिलकर मिटे, रोशनी के लिए ll
दीप है तु ,अगर मैं ,तेरे प्राण हूं l
साथ हम तुम रहे रोशनी के लिए ll
अंधेरा धरा से हि, मिट जाएगा l
साथ में सब चलें, रोशनी के लिए ll
चांद सूरज से दुनिया ,है रोशन मगर l
रात अमावस में, जलो रोशनी के लिए ll
संजय सिंह”सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l