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15 Feb 2017 · 1 min read

II बिना बहर के कुछ शेर II

पलकें झुकाकर हम पर ना अहसान कीजिए l
ये अजनबी मुसाफिर पहचान कीजिए ll

दो लम्हा जिंदगी यह हंस कर गुजर जाए l
हो ऐसा फन कोई तो शुरुआत कीजिए ll

वक्त की है बंदिशे पाबंद आदमी है l
इन बंदिशों की कम कोई दीवार कीजिए ll

ऐसा भी क्या यहां जो मिल ही ना सके l
खुशबू है गवाह फूल का एहसास कीजिए ll

यह दर्द ए जिंदगी दो पल से अधिक क्या l
खुशी से अगर इसको गुजार दीजिए ll

चांद पर जाने को बेताब आदमी है l
धरती पे क्या नहीं उससे बात कीजिए ll

यह दूर के रिश्ते बस दूर से ही अच्छे l
पास आकर इनको न बर्बाद कीजिए ll

सारी दुनिया है मुसाफिर दो पल के वास्ते l
पहचान ठीक है दिल की न बात कीजिए ll

याद आएंगे बहुत ए मरने के बाद भी l
हो दिल से दुश्मनी तो इन्हें प्यार कीजिए ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l

Language: Hindi
Tag: शेर
340 Views
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