II दिल के काबिल II
दिल के काबिल नहीं पर बिठाया उसे l
बुलंदियों से भी ऊपर उठाया उसे ll
मुझसे ही पूछता है वो पहचान अब l
नींव का एक पत्थर दिखाया उसे ll
मानता हूं वो रहबर रहा अजनबी l
बात सब राज की क्यों बताया उसे ll
कैसी तकरार है तुम भी आगे बढ़ो l
हार से जीत होती सिखाया उसे ll
फेल तू हो गया इम्तहा मे “सलिल” l
आइना जो मुकम्मल दिखाया उसे ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l