II तुम पिछली कहानी भूल गए….II
तुम पिछली कहानी भूल गए,
हम बीते कल में ही अटके हैं l
जाने तुम रस्ता अपना भूल गए ,
या हम अपनी ही राहें भटके हैं l
ऐसे तो कुछ ठीक ना रिश्ते ,
कुछ ना कुछ तो खटके है ll
तुम पिछली कहानी….
इंतजार किया था घंटों सोचा ,
कुछ मुझसे भी वह अब पूछेगा l
बचपन का दोस्त मिले और,
बातें ना हो कोई बचपन की I
गाता रहा वह बस अपनी ही,
मैंने भी कहा अब चलते हैं ll
तुम पिछली कहानी….
ना पूछे वह कोई हाल तुम्हारा ,
और करे बड़ाई बस अपनी ही l
सब कुछ छोड़ा पैसों खातिर ,
वह भी बस जीने भर का ही l
फिर क्या मिलना और कैसी बातें ,
तुम्हारे अपने मेरे अपने रास्ते हैं ll
तुम पिछली कहानी…
दौलत की हम करें गुलामी ,
संबंध ही सारे जैसे भूल गए I
गैरों को अपनाने की बात दूर ,
हम अपनों को ही भूल गए I
त्रिशंकु सी हालत अपनी है ,
बस बीच अधर में लटके हैं ll
तुम पिछली कहानी….
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ, उत्तर प्रदेश l