II….तुम्हारे बाद ये मौसम…II
न जाने दूंगा अभी तुमको बारिशो में मैं l
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा ll
नहीं उसे कभी होता गुमान अपने पर l
उठा यहां जो जमीन से कहा इतराएगा ll
तेरी खामोश निगाहें बता रही हमको l
नहीं जो आज तो कल ही हमें रुलाएगा ll
नहीं निभी जो तेरी जहां बनाने वाले से l
करूं भी कैसे भरोसा वो क्या निभाएगा ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश l