II टूटा सपना II
जब कोई सपना टूटा होगा l
कहीं किसी ने लूटा होगा ll
मुंह फेरे बैठा मेरे सामने l
अपना ही कोई रूठा होगा ll
सारे ही हम हुए गरीब l
कल से सबका कोटा होगा ll
दुख दर्द कौन अब बांटेगा l
संवेदना का भी टोटा होगा ll
सबको अपनी पड़ी हुई हैl
देश पड़ा कहीं रोता होगा ll
‘सलिल’ बगावत की ना आहट l
पर घूंट लहू का पीता होगा ll
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश