II जमाने का मेला II
एक मेला लगा लोग आने लगे l
माल जो बिक गया लोग जाने लगे ll
एक बहाना बनाना बड़ा काम था l
हाल अपना बताने जमाने लगे ll
वो ना आए मुलाकात होती नहीं l
सरहदों पे उसे फिर बुलाने लगे ll
देखता रोज ही आईना मैं मगर l
अक्स मेरे हि मुझको चिढ़ाने लगे ll
जो भी होता नियत गीता का ज्ञान है l
आप अपना पराया बताने लगे ll
ऊंची बातें करो सोच ऊंची रखो l
आसमा से नजर तुम मिलाने लगे ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l