II क्या अब चाहिए II
मुझसे उसने हि पूछा क्या कुछ चाहिए l
छूटे साथ तेरा ऐसा—नहीं अब चाहिएll
छोटी मोटी मेरी —–कोई ख्वाहिश नहीं l
अब मुझे अपने में —तेरा असर चाहिए ll
बिन मांगे ही— सब कुछ मिला है मुझे l
कैसे बताऊं मुझे —–क्या अब चाहिए ll
वाणी हो मौन—— विचार मर जाए जब l
सब मिल जाएगा- फिर ना कुछ चाहिए ll
जो तेरी रोशनी——— मिल गई है मुझे l
क्या बचा और मुझको जो अब चाहिए ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l