II अपनी पहचान II
जब से अपने से अपनी पहचान हो गई l
सारी दुनिया ही गीता कुरान हो गई ll
ना कोई नखरा ना कोई अदब का गुमान l
खुली खिड़की तो रोशन दुकान हो गई ll
किस-किस से न पूछा था उसका पता l
आज उससे ही अपनी पहचान हो गई ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश