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21 Nov 2017 · 1 min read

सालगिरह

सालगिरह

नहीं दूर हुई पिया अपनी विरह
ले फिर से आई सालगिरह।

रही पीर शेष और दर्द हिया,
कभी सुध तुमने नहीं लीन्हीं पिया।

आखिर कार मैं इक आम नार,
है नाम नीलम,नहीं नाम सिया।

आज के दिन ही हम एक हुए थे,
विचार विमर्श भी नेक हुए थे।

लम्बा सफ़र संग तय कर लिया,
लगता है कल की हो बात पिया।

अहसास, नीलम कभी उम्र नहीं पाते,
कितनी सच्ची हैं ये बातें मुलाकातें।

बहुत ऊंची-नीची तेरी डगर थी,
जिससे साजन मैं बेखबर थी।

सुख-दुख के साझेदार हुए,
या बीच खड़े मझधार हुए।

जीवनपथ पर भवसागर में,
हम डूबी टूटी पतवार हुए।

कानों में संगम गीत प्रिये,
नहीं सार हुए,बेज़ार हुए।

आंसुओं से भीगे नयन मेरे
सुन नदी, झरने हर बार हुए।

पलकों में कुछ स्वर्णिम सपने,
आँखों में मैंने छिपा लिए।

तुमपे खुद ही अधिकार लिए,
न बुझने दिए आशा के दीये।

सुन मिटाकर तम का आकर्षण प्रिये
मैंने तम अंधियारे ,उजियारे किए।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
Tag: गीत
442 Views
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