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1 Dec 2021 · 1 min read

संविधान की शपथ

संविधान की शपथ
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संविधान की शपथ लेते है सब जन ,
पर पृथक विधान हैं हम सब के लिए ।
सम् विधान कैसे हुआ बोलो ,
जब अलग विधान हो जन-जन के लिए ।

पचहत्तर वर्ष व्यतीत होने को ,
आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे।
अनुच्छेद चौवालिस रो रहा अब भी ,
पर हिम्मत हम नहीं जुटा रहे ।

शादी की कोई उम्र नहीं तय है,
अब भी बच्चियां ब्याही जा रही।
कोई कहता, ये रिवाज है मेरा,
शिक्षा की राह अधूरी ही रही।

मातायें जब रहेगी अशिक्षित,
शोषित वंचित बेटियाँ होगी ।
स्वास्थ्य शिक्षा तब कैसे सुधरेगी ,
बाल मृत्यु दर भी कम नहीं होगी।

आओ मिलकर शपथ ले हमसब ,
संविधान में सब जन बराबर हो ।
ऊँच-नीच भेदभाव मुक्त समाज हो ,
नागरिकों के लिए समान कानून हो ।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०१ /१२ /२०२१
कृष्णपक्ष, द्वादशी , बुधवार ,
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 1223 Views
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