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24 Nov 2019 · 1 min read

शायरी कर रहा हूँ!

मैं ज़िन्दगी बस यूँ ही अब बसर कर रहा हूँ!
मैं लफ्ज़ ब लफ्ज़ उनको नज़र कर रहा हूँ!

क्या खुब मौहब्बत की शुरुआत करी उसने!
अब उन से हौले हौले मुलाकात कर रहा हूँ!

दिल की जो बात करनी हैं हम से नहीं होती!
कमबख़्त ज़माने भर की हर बात कर रहा हूँ!

मैं उनको अपनी बाँहो में सुलाना चाहता हूँ!
शर्म-ओ-हया को मैं सुपुर्दे खाक कर रहा हूँ!

जब आईना बनुगाँ तब देखेगी दुनिया मुझको!
काँच बन कर जिन की आंखों में चुभ रहा हूँ !

लद गये वो दिन जब हम आशिकी थे करते!
ज़नाब अब शायर कहिये शायरी कर रहा हूँ!
?-AnoopS©
24 Nov 2019

6 Likes · 311 Views
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