Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Oct 2021 · 2 min read

वे मरनेवाले

—————————————————————————————
ये मरनेवाले वे हैं
जो
गर्मी में लू से मरते हैं।
या ठँढ में शीतलहर से।
भूख से मरनेवाले भी
और बिगड़ी बिमारियों से तथा।
हर मौसम तथा प्रतिकूलताएँ
मरने का मौसम है उनके लिए।
वे मरते हैं इसलिए नहीं कि
मौसम सर्द है या गरम
तन-मन बीमार है या
समय क्षुधा से क्षुब्ध ।
क्योंकि
सुरक्षित संदर्भ नहीं है उनके पास।
दरिद्रता का और दरिद्र कोख से
पैदा होने का खामियाजा
तो पड़ेगा ही भरना।
सुर्य या पृथ्वी
विनतियाँ नहीं सुनते।
उनके अपने विधान के दृढ़
संकल्प हैं।
मेरे लिए मनुष्य ही नहीं बदलते
अपना, शोषण का हठ।
सूरज या पृथ्वी का क्या?
ब्रह्माँड रचे जाने के नियम
अलग हैं।
वहाँ विनतियाँ नहीं चलतीं।
चलते हैं वहाँ सिर्फ नियम।
अलाव के पास बैठा तो भूख से
नहीं बैठा तो मरेगा ठंड से ।
वह,वह है
जहाँ नहीं होती जमापूँजी।
शरीर को काम में जोतकर।
कैसे बदल सकता है वह अपना माहौल!
ईमानदार कामों के कितने हैं दाम?
रोटी तो वस्त्र नहीं और
वस्त्र तो रोटी नहीं।
भरने के लिए हर आवश्यकता
रोटियाँ छोटी, और छोटी
की जाती है यहाँ।
क्षुब्ध ताप तथा क्रोधित ठंढ से
बचने का जुगाड़
है जिनके पास
क्या पता नहीं आपको
कौन लोग हैं वे।
उनहोंने त्रिदेव के नियम
तोड़े हैं बार-बार।
मानवीय धर्मसिद्ध ग्रंथों को
हित साधन हेतु पलटा है अनन्त बार।
त्रिदेव इसलिए बार-बार लेते रहे हैं
अवतार।
व्याख्याओं को करने पुनर्स्थापित।
वे नियमों से बचाव में
करते हैं प्राप्त दक्षता।
सामाजिक नियमों के अपहरण के जुगत में
सक्षम हैं।
वे सूरज को पीठ देने में हैं सक्षम।
क्योंकि तान रखा है उन्होंने
किसी के श्वेद का चादर।
हवा पर उड़ चलते हैं वे
क्योंकि,
बाँध रखे हैं किसीके इच्छाओं के वायदे।
बेचकर नैतिकता भिड़ाते हैं जुगत।
तौलकर बढ़ाते हैं व्यवहार।
आचरण पर चढ़ा रहता है वैयक्तिकता।
गिना करते हैं शासक के कद।
गणितीय सूत्रों में डालते हैं सत्ता के अंक।
उन्हें मनुष्य की विवशताओं का
होती है अच्छी समझ।
इस ठंढ भरे मौसम में कम्बल और
उस लू भरे गर्म हवाओं में जल का
फैलाना आता है जंजाल।
मरनेवाले वे हैं जो
चिथड़े पहने के माँ के गर्भ से
नग्न उतरकर नग्न ही रहते हैं
चाहे रोटी से चाहे वस्त्र से
छत से या मौलिक सुविधाओं से।
जबतक किसी ठंढ में या लू में
मर नहीं जाते।
उठो बदल अपना आचरण
युद्ध को हो तत्पर।
—————————————

Language: Hindi
186 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बुराई कर मगर सुन हार होती है अदावत की
बुराई कर मगर सुन हार होती है अदावत की
आर.एस. 'प्रीतम'
प्रेस कांफ्रेंस
प्रेस कांफ्रेंस
Harish Chandra Pande
Sometimes
Sometimes
Vandana maurya
"दरख़्त"
Dr. Kishan tandon kranti
अदाकारी
अदाकारी
Suryakant Dwivedi
23/66.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/66.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन को
जीवन को
Dr fauzia Naseem shad
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
gurudeenverma198
आंगन महक उठा
आंगन महक उठा
Harminder Kaur
International plastic bag free day
International plastic bag free day
Tushar Jagawat
न्याय तुला और इक्कीसवीं सदी
न्याय तुला और इक्कीसवीं सदी
आशा शैली
छान रहा ब्रह्मांड की,
छान रहा ब्रह्मांड की,
sushil sarna
*धर्मप्राण श्री किशोरी लाल चॉंदीवाले : शत-शत नमन*
*धर्मप्राण श्री किशोरी लाल चॉंदीवाले : शत-शत नमन*
Ravi Prakash
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
Keshav kishor Kumar
सत्य की खोज
सत्य की खोज
लक्ष्मी सिंह
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
पूर्वार्थ
प्रकृति पर कविता
प्रकृति पर कविता
कवि अनिल कुमार पँचोली
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
Phool gufran
♤ ⛳ मातृभाषा हिन्दी हो ⛳ ♤
♤ ⛳ मातृभाषा हिन्दी हो ⛳ ♤
Surya Barman
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
Mahendra Narayan
🙅मैच फिक्स🙅
🙅मैच फिक्स🙅
*Author प्रणय प्रभात*
Augmented Reality: Unveiling its Transformative Prospects
Augmented Reality: Unveiling its Transformative Prospects
Shyam Sundar Subramanian
DR अरूण कुमार शास्त्री
DR अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जुदाई
जुदाई
Dr. Seema Varma
***
*** " नाविक ले पतवार....! " ***
VEDANTA PATEL
भरोसा टूटने की कोई आवाज नहीं होती मगर
भरोसा टूटने की कोई आवाज नहीं होती मगर
Radhakishan R. Mundhra
मां कात्यायनी
मां कात्यायनी
Mukesh Kumar Sonkar
" जुदाई "
Aarti sirsat
आ रे बादल काले बादल
आ रे बादल काले बादल
goutam shaw
सुप्रभात
सुप्रभात
Arun B Jain
Loading...