मुझे भगवान ना बनने दो..(करवाचौथ विशेष)
इंसान हूँ इंसान रहने दो
ना करो संघर्ष इतना
जमीन पर ही रहने दो
मुझको जगह दो
दिल में अपने
मन मंदिर में ना बसने दो
चाहता हूँ साथ तुम्हारा
मुझे भगवान ना बनने दो ।
चलूंगा हर कदम
तुम्हारे हर कदम से
वो ख़ुशी
वो जश्न
महसूस करने दो
नजरों में रहूँगा सामने
अपने वक्त के
मुझे साथ चलने दो
मैं नही भगवान
मुझे ना मसीहा बनने दो ।
मैं नही काबिल हुआ
इस आस्था
इस प्रेम के
ये अलौकिक प्रेम है
इसे भगवान तक ही
सीमित रहने दो
मैं चाहता हूँ
वही तकरार-इकरार तेरे प्यार में
जो दिख नही सकता
ऐसा रहस्य मुझे ना बनने दो ।
हसूँगा साथ भी
रोऊंगा साथ भी
तुम्हारे साथ का
हर वक्त का आनंद लेने दो
ना करो मुझे इतना खुदा
खुदाई से अपनी
मुझे दूर ना रहने दो
चाहता हूँ मिलाना
अपनी रूह को
तुम्हारी रूह से
हर सात जन्मों में
हमें आवारा हंस बनने दो ।
ना करो संघर्ष इतना
मुझे अपना साथी ही रहने दो …..