धंधा चलता ड्रग्स का (कुंडलिया)
धंधा चलता ड्रग्स का (कुंडलिया)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
धंधा चलता ड्रग्स का ,बड़े-बड़ों का खेल
सांठगांठ इनकी बड़ी , प्रतिष्ठान से मेल
प्रतिष्ठान से मेल ,बाहुबल-धन का जलवा
इनको पकड़े कौन ,दबाते सब बस तलवा
कहते रवि कविराय , प्रशासन रहता अंधा
नेता इनके भक्त , इसलिए चलता धंधा
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451