ओ मेरी माँ
माँ तेरी महिमा अपरम्पार
संसार की जननी है तू
सब दुख – दर्द हर लेती है तू
तू ही पालनकर्ता सर्वेश्वर
तेरी छाया तरुवर की छाया
तेरी चरणों में ब्रह्माण्ड की काया
प्रथम गुरु आप ही कहलायों
मिलती जहाँ निस्वार्थ भावना
तेरी करुणा पृथ्वी से भारी किन्तु
अपने माँ को भूल जाते क्यों ?
उनकी करुणा को टेस पहुँचाते क्यों ?
आखिर क्यों ? आखिर क्यों ? आखिर क्यों ?
एक माँ सौ बेटों को पाल लेती
किन्तु एक बेटा को भी माँ बोझ दिखती !
क्यों प्राणप्रिया ही सर्वस्व दुनिया है ?
क्या यहीं ममता का प्रतिफल है ?
तू ही मेरी मदर टेरेसा की महिमा
तू ही मेरी जन्नत की दुनिया
मैं तेरा संसार हूँ , तू हमारी छाया
ओ मेरी माँ , ओ मेरी माँ , ओ मेरी माँ