Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jul 2020 · 1 min read

अपनी क़िस्मत बुलन्द करते हैं

अपनी क़िस्मत बुलन्द करते हैं
हम तुम्हें ही पसन्द करते हैं

दीख जाते हैं ख़्वाब कितने ही
हम पलक जब भी बन्द करते हैं

कोई मतलब नहीं है दुनिया से
बात तुमसे ही चंद करते हैं

जो न मुश्किल में हौसला हारे
सब उसी को पसन्द करते हैं

साफ़गोई की खू नहीं जाती
सब ज़ुबाँ मेरी बन्द करते हैं

1 Like · 500 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
" मित्रता का सम्मान “
DrLakshman Jha Parimal
इश्क जितना गहरा है, उसका रंग उतना ही फीका है
इश्क जितना गहरा है, उसका रंग उतना ही फीका है
पूर्वार्थ
ख्वाब दिखाती हसरतें ,
ख्वाब दिखाती हसरतें ,
sushil sarna
If you do things the same way you've always done them, you'l
If you do things the same way you've always done them, you'l
Vipin Singh
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
हिंदू सनातन धर्म
हिंदू सनातन धर्म
विजय कुमार अग्रवाल
नीला अम्बर नील सरोवर
नीला अम्बर नील सरोवर
डॉ. शिव लहरी
रात का रक्स जारी है
रात का रक्स जारी है
हिमांशु Kulshrestha
बेरोज़गारी का प्रच्छन्न दैत्य
बेरोज़गारी का प्रच्छन्न दैत्य
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
विरान तो
विरान तो
rita Singh "Sarjana"
कल देखते ही फेरकर नजरें निकल गए।
कल देखते ही फेरकर नजरें निकल गए।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
Shweta Soni
भय के कारण सच बोलने से परहेज न करें,क्योंकि अन्त में जीत सच
भय के कारण सच बोलने से परहेज न करें,क्योंकि अन्त में जीत सच
Babli Jha
हिंदी - दिवस
हिंदी - दिवस
Ramswaroop Dinkar
सब्र का फल
सब्र का फल
Bodhisatva kastooriya
आवारगी
आवारगी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हे मानव! प्रकृति
हे मानव! प्रकृति
साहित्य गौरव
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
देकर हुनर कलम का,
देकर हुनर कलम का,
Satish Srijan
💐अज्ञात के प्रति-111💐
💐अज्ञात के प्रति-111💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
2990.*पूर्णिका*
2990.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बाल कविता: नदी
बाल कविता: नदी
Rajesh Kumar Arjun
आत्महत्या
आत्महत्या
Harminder Kaur
उसको उसके घर उतारूंगा मैं अकेला ही घर जाऊंगा
उसको उसके घर उतारूंगा मैं अकेला ही घर जाऊंगा
कवि दीपक बवेजा
वो पढ़ लेगा मुझको
वो पढ़ लेगा मुझको
Dr fauzia Naseem shad
"हालात"
Dr. Kishan tandon kranti
क्या है उसके संवादों का सार?
क्या है उसके संवादों का सार?
Manisha Manjari
नवयुग का भारत
नवयुग का भारत
AMRESH KUMAR VERMA
कहो जय भीम
कहो जय भीम
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
Loading...