""बहुत दिनों से दूर थे तुमसे _
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*आया पतझड़ तो मत मानो, यह पेड़ समूचा चला गया (राधेश्यामी छंद
दुनिया से ख़ाली हाथ सिकंदर चला गया
ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
जरुरी है बहुत जिंदगी में इश्क मगर,
कभी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर ,
आप शिक्षकों को जिस तरह से अनुशासन सिखा और प्रचारित कर रहें ह
ग़ज़ल _ कहाँ है वोह शायर, जो हदों में ही जकड़ जाये !
तुमको खोया नहीं गया हमसे।