*राज सारे दरमियाँ आज खोलूँ*
समय ही तो हमारा जीवन हैं।
हे अजन्मा,तेरा कैसे जन्म होगा
लाल डब्बों से जुड़े जज्बात
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मेरी प्रिया *********** आ़ॅंसू या सखी
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
*अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर किला परिसर में योग कार्यक्रम*
“Do not be afraid of your difficulties. Do not wish you coul
परीक्षा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
"हिचकी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD