वामांगी सिखाती गीत।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
क्यों खफा है वो मुझसे क्यों भला नाराज़ हैं
आज के समाज का यह दस्तूर है,
दूसरों के हितों को मारकर, कुछ अच्छा बनने में कामयाब जरूर हो
*" पितृ पक्ष एवं श्राद्ध कर्म"*
रक्खा था ख्वाब आंखों में अपनी संभाल कर ।
I don't need any more blush when I have you cuz you're the c
श्याम हारे, गोरे हारे, पाये नहीं जीत