Gazal 25
मुहब्बत में तेरे नींदे उड़ाना खूब आता है।
दिलों से दिल का हाल ए दिल बताना खूब आता है।
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तुम्हारी आंख मयखा़ना, किसी मयख़्वार के खा़तिर।
नज़र से यार की नज़रें मिलाना खूब आता है।
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किसी भी बात पर मेरी, मुझे मत छोड़कर जाना।
अगर तुम रूठ भी जाओ मनाना खूब आता है।
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झुका देता हूं सर अपना मेहरबानी मेरे रब की।
मुझे सजदे में दिल अपना झुकाना खूब आता है।
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तुझे ही देखते रहना तुझे ही ढूंढते रहना।
तेरी महफिल में ही रातें बिताना खूब आता है।
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सभी अहवाल पढ़ लेते हो,आंखों से मेरे दिल की।
ज़माने भर से हाल-ए-दिल छिपाना खूब आता है।
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हमारा यार रखता है “सगीर” ऐसी हुनरमंदी।
हंसाना भी उसे आता रुलाना खूब आता है ।
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ये बदल दिया है सर
(सगीर” दिलबर हमारा खूबियां क्या खूब रखता है।
हंसाना उसको आता है रुलाना खूब आता है।)