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बहुत ही महंगा है ये शौक ज़िंदगी के लिए।
जो अपनी जिंदगी जीता है हर किसी के लिए।
ये फिक्र ओ फ़न की बुलंदी,ये इल्म का जौहर।
बहुत ही आला तख़य्युल हो शायरी के लिए।
खुदा ने बख्शी है नेअ़मत ये शुक्रिया उसका।
लुटा दूं जिंदगी जितनी है बंदगी के लिए।
अंधेरी रात में गुमनाम चाहतों की कसम।
चराग़ हम ने जलाया है रोशनी के लिए।
बना दे नक्शे पा तू संग के भी सीने पर।
मशअ़ले राह अ़मल हो,हर आदमी के लिए।
इतनी आसान नहीं इश्क़ की ये राह “सगी़र”
आग पर चलने की मानिंद,आशिकी के लिए।