G 26
तुम्हारा होंठ लिखूंगा और उसको जाम लिखूंगा।
मैं अपनी हर ग़ज़ल में बस तुम्हारा नाम लिखूंगा।
तुम्हारा हुस्न लिखूंगा मैं सुबह ए बनारस में।
तुम्हारा इश्क लिखूंगा अवध की शाम लिखूंगा।
रातों दिन तुम्हारे नाम की तस्वीह पढ़ता हूं।
तुम्हें बस चाहते रहना मैं अपना काम लिखूंगा
तुम्हारे बिन हमारी जिंदगी का कौन सा मतलब।
तुम्हारे नाम से ही जोड़कर मैं नाम लिखूंगा।
न कोई मिस्र का बाजार, न यूसुफ जुलेखा है।
तेरी चाहत लिखूंगा मैं *सगीर” अंजाम लिखूंगा।