याद
चांदनी रातों मैं
मायूसी छा जाती है
नजरों को ना जाने क्यों
प्रकाश की किरणें
नजर नहीं आती हैं
मन की घबराहट को
शांति मिल नहीं पाती है
मस्तिष्क को उजाले में
अंधकार की चिंता सताती है
जीवन की घड़ी
ठहर सी जाती है
हरे भरे संसार में
चुप्पी आ जाती है
ऐसा ही होता है
जब किसी अपने की याद सताती है।