Farishte
तुम्हें रोशन करूं कैसे, खुद को कितना जलाऊं मैं,
ज़रा तूही बता कैसे, ज़मी पे चांद लाऊं मैं।
तेरी बेरहम ख्वाइश को, है मैने लहू से सींचा।
तुझे अपना समझने की, क्या कीमत चुकाऊं मैं।।
तेरी मुस्कान की खातिर, हूं कितनी बार रोया मैं,
तेरी सुखचैन की खातिर, न कितनी रात सोया मैं।
तेरी हर एक फरमाइसों पर, लगाई जान की बाजी,
ज़रा बता तेरे खातिर , भला क्या क्या हूं खोया मैं।।
तुम्हे आबाद करने में, जवानी अपनी वारा मैं,
तुम्ही पर वार दी, बेदर्द! जहां का प्यार सारा मैं।
मस्त हो अपनी दुनियां में, कभी तो खैरियत पूछो,
कितने खुदगर्ज हो “संजय”, है ये अच्छा हूं न्यारा मैं।।