Famous Poets from Rajasthan | Anjas
जूनौ कोस
राजस्थान रो प्राचीन साहित्य संग्रै
An archive of Rajasthani literature from c1200 to c1900. Includes Charan, Jain and Sant Sahitya in both Dingal and Pingal and various styles/forms which include rupak, vigat, vachanika, khyat, baat, raso, veli, davavait, geet et cetra.
आचार्य भिक्षु
आचार्य भिक्षु
जैन तेरापंथ धर्मसंघ रा संस्थापक अर पैला आचार्य। रचनावां जैन धार्मिक शिक्षा अर तेरापंथ रा आचार विचार सूं सम्बंधित।
1726-1803 मारवाड़ जैन संत
आलम जी
आलम जी
विश्नोई पंथ रै संस्थापक गुरु जांभोजी रा हुजूरी सिस्य अर गायन विद्या मांय अति निपुण संतकवि।
1473-1553 मारवाड़ संत
आसराव रतनू
आसराव रतनू
पंदरहवै सईकै रा नामचीन कवि अर कुशल जोधा। जैसलमेर रावळ दुर्जनसाल रा समकालीन अर सहयोगी ।
मारवाड़ चारण डिंगल
आत्माराम ‘रामस्नेही संत’
आत्माराम ‘रामस्नेही संत’
रामस्नेही संत संप्रदाय रै शाहपुरा, भीलवाड़ा पीठ रा संत रूपदास जअवधूत रा सिष्य। गुरु रूपदास जी री जीवनी रा प्रामाणिक व्याख्याकार अर ‘मुगति-विलास’ ग्रंथ रा सिरजनकर्ता।
वागड़ संभाग संत
आयस देवनाथ
आयस देवनाथ
जोधपुर नरेश मानसिंह रा गुरु। आपरा समकालीन कवि रामदान लालस ने संबोधित कर’र ‘रामला रा सोरठा’ नांव री रचना करी। नाथ पंथ सूं सम्बंधित।
मारवाड़ चारण डिंगल
अलूनाथ कविया
अलूनाथ कविया
सिद्ध भक्त कवि,। गुरु जाम्भोजी रा प्रमुख शिष्य, आपरी रचनावां में जाम्भोजी ने विष्णु रा अवतार बताया। घणकरी फुटकर रचनावां इज मिळै। बेजोड़ कवित्त(छप्पय) रचण खातर चावा। जसराणा (नागौर) में जीवित समाधी ली।
1483-1583 मारवाड़ डिंगल चारण
आशानंद बारहठ
आशानंद बारहठ
जोधपुर शासक राव मालदेव रा समकालीन अर राज आश्रित कवि। प्राकृत, संस्कृत अर डिंगल रा ज्ञाता। ‘उमादे भटियाणी रा कवित्त’ अर ‘बाघजी रा दूहा’ जैड़ी ठावकी रचनावां खातर चावा।
मारवाड़ डिंगल चारण
बाबा रामदेवजी
बाबा रामदेवजी
रामसा पीर, आलम राजा, निकलंक नेजाधारी आद विरद धारी। राजस्थान रा चावा लोक देवता अर समाज सुधारक। द्वारकाधीश रा अवतार मानीजै। अछूतोध्दारक महापुरुषों में आगीवाण नांव।
1352-1385 मारवाड़ संत
बादर ढाढ़ी
बादर ढाढ़ी
मध्यकाल रा चावा ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ वीरमायण (वीरवांण) रा रचैता। डिंगल रा प्रमुख चारणेतर कवि।
मारवाड़ डिंगल चारण
बखना जी
बखना जी
दादूदयाल रा प्रमुख बावन शिष्यां में सूं एक। कवि अर गायक संत रै रूप में चावा। पदां में सांप्रदायिक सदभाव रो प्रचार अर आत्म ज्योति जगावण माथै बल दियौ।
1623 ढूंढाड़ संत
बालकराम
बालकराम
दादू पंथी संत सुन्दरदास जी (छोटा) रा शिष्य। रचनावां में भक्ति, नीति अर अध्यात्म शिक्षा रै साथै उपदेशां री व्यापकता।
1613-1693 ढूंढाड़ संत
बना बारहठ
बना बारहठ
मध्यकालीन चारण कवि। विसर काव्य रा फुटकर डिंगल गीत रचिया।
मारवाड़ चारण डिंगल
बांकीदास आशिया
बांकीदास आशिया
जोधपुर महाराजा मानसिंह रा काव्य गुरु। मध्यकाल रा सिरै डिंगल कवि अर ‘आयो अंगरेज’ जेड़ौ राष्ट्रीय चेतना परक गीत लिख’र देशी राजावां नें अंग्रेजां रे ख़िलाफ़ चेतावण वाळा पैला कवि। वीर, शृंगार, नीति, भक्ति आद सगळी धारवां में समान रूप सूं सृजन करियो।
1771-1833 मारवाड़ चारण डिंगल
बीठू सूजा
बीठू सूजा
बीकानेर रे मुन्जासर गाँव में जल्मियोड़ा वीर रस रा सांतरा कवि, जिका ‘राव जैतसी रो छंद’ नाम रे साहित्यिक अर ऐतिहासिक दीठ सूं घण महताऊ ग्रंथ री रचना करी।
मारवाड़ डिंगल चारण
भभूतदान
भभूतदान
जोधपुर महाराजा अजीतसिंह रा आश्रित। स्वाभिमानी प्रवृत्ति रा कवि। आपरी रचनावां में आश्रयदाता री प्रशस्ति कम अर ओळभा ज्यादा लिखिया।
मारवाड़ डिंगल चारण
बोहड़ बीठू
बोहड़ बीठू
बीकानेर रै साठीका गाँव में जलम। मध्यकाल रा चावा डिंगल कवि।
मारवाड़ चारण
बृजदासी रानी बांकावती
बृजदासी रानी बांकावती
जयपुर रा लीवाण प्रदेश रा राजा आनंदराम री पुत्री अर किशनगढ़ महाराजा राजसिंह री राणी। मूल नांव बृजकुँवारी पण बृजदासी नांव सूं कविता लिखता। कृष्ण भक्ति में आस्था रै पांण ;भागवत’ रो राजस्थानी में छन्दोबद्ध अनुवाद करियो। अन्य रचनावां भी मिळै।
1703 ढूंढाड़ संत पिंगल
बुद्धसिंह हाड़ा
बुद्धसिंह हाड़ा
बूंदी रा शासक। पिंगल रा रीतिकालीन सिरै आचार्य कवि।
1695-1739 हाड़ौती पिंगल
बुधजी आशिया
बुधजी आशिया
कविराजा बाँकीदास आशिया रा छोटा भाई। डिंगल- पिंगल रा प्रकाण्ड पण्डित अर जगत कवि री उपाधि सूं विभूषित। मयाराम दरजी नांव रा सेवक सूं रीझ’र ‘दरजी मयाराम री बात’ जैड़ी उच्च कोटि री रचना लिखी।
1784-1863 मारवाड़ चारण डिंगल
चैनकर्ण सांदू
चैनकर्ण सांदू
1768