fake faminism
आपको सिर्फ बचकानी बातें ही करनी आती है क्या, अपनी गलतियों को दूसरे के ऊपर थोप दो, यही महानता है आप लोगो की, किसने कह दिया घर में सिर्फ मर्दों की चलती है, जब एक मर्द के बराबर पढ़ी लिखी औरत होती है तब भी पूछी जाती है उनकी हर एक राय और सलाह, और जो पढ़ी लिखी नही होती उससे भी राय लेते है लोग, आप तो पहले काबिल बनो को आप आपसे राय ले शिक्षित बनने की जरूरत है, दूसरी बात एक औरत को या एक लडकी को अब बराबर का हक है मर्द की संपत्ति में, औरत तो तलाक लेकर भी आधी संपत्ति ले जाती है, ये हक है उन्हे, दहेज उत्पीड़न के नाम पर पूरे घर वालो को जेल करवा सकती है,लडकियो को दहेज देने से डर लगता है लेकिन उनके मां बाप को दूल्हा सरकारी नौकरी वाला पसंद होता है, पहले लडकी दहेज देने से डरती है, उसके बाद वही सास बनकर दहेज मांगती है, ऐसे नही चलेगा न, की आप फेमिनिस्ट के नाम पर कुछ भी करो,लड़की को काबिल बनाओ, वो खुद नौकरी करे तो कौन लेगा दहेज, कोई नही लेगा,कभी सुना है सरकारी नौकरी लड़की करती हुई लडकी की किसी बेरोजगार से शादी, नही न, अगर हुई भी है तो लव मैरिज, उसके बावजूद लड़की के मां बाप राजी नही होते, का लड़का ये उम्मीद रखता ही नही की उसे नौकरी वाली लड़की ही चाहिए, कैसी भी हो ठीक हो, जबकि लकड़ियों की मानसिकता आमतौर पर ये है की सरकारी नौकरी करेगी, टीचर होगी प्राइमरी की तो प्रिंसिपल से शादी करने का ख्वाब देखने लगती है, ये हम लोगो के समाज का सच है, जिसे कोई स्वीकार करना ही नही चाहता, जब दहेज या पैसे नही है आपके पास ऑडी मर्सिडीज के लिए तब ऑल्टो में ही काम चलाओ, पैसे नही देने और लड़का RBI गवर्नर हो, बहुत से बेरोजगार भी है बहुत अच्छे है वो उनसे कर लो क्या दिक्कत है, लेकिन नही, मां बाप चाहते है उनकी बेटी AC में रहे, धूप गलती से भी न दिखे, ऊपर से पूरे मोहल्ले में रोना की अरे 50 लाख लग गया बेटी की शादी में, फिर दूल्हे पक्ष वालो को ही भिखारी घोषित कर दो, यही तो है असल वाला feminism?