Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
बहकता था बहकता हूं बहक जाऊंगा फिर से।
जो बिखरेगी खुशबु खिजां में तेरे गेसुओं की अगरचे।
गोया कि दूर हूं मै सामने तो नहीं हूं।
मगर किसने रोका है पवन को गुजरने से मेरे ख्यालों के चमन से।