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5 Feb 2022 · 1 min read

प्राणवल्लभा

जिसे हम अपनी जान कहते हैं,
वो हमें अनजान कहते हैं।
कुछ इस कदर से दिल को समझाने लगे हैं,
हम रो रो के मुस्कुराने लगे हैं।।
सोचा था चल पड़ेंगे हम साथ उनके,
लेकिन वो बीच भंवर में छोड़कर जाने लगे हैं।
आते थे पहले रोज़ वो हमारे ख्वाबों में,
लगता है ख्वाब किसी और के सजाने लगें है।
सहम जाते थे जो कभी हमारे दर्द से,
वो तड़पता हुआ देख कर मुस्काने लगे हैं।
खाई थी कसमें हमने जीने की साथ में,
अब साथ किसी और का निभाने लगें हैं।
कुछ इस कदर से दिल को समझाने लगे हैं,
हम रो रो के खुद को मनाने लगे हैं।
© अभिषेक पाण्डेय अभि

43 Likes · 2 Comments · 344 Views
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