तारो की चमक ही चाँद की खूबसूरती बढ़ाती है,
मौत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
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जब तक आप जीवित हैं, जीवित ही रहें, हमेशा खुश रहें
नहीं कहीं भी पढ़े लिखे, न व्यवहारिक ज्ञान
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
ज़िंदगी चाँद सा नहीं करना
भारत का सामार्थ्य जब भी हारा
चांद अब हम तेरा दीदार करेगें
दरअसल बिहार की तमाम ट्रेनें पलायन एक्सप्रेस हैं। यह ट्रेनों