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13 Oct 2021 · 1 min read

कोविड

रो रही है सृष्टि आज सारी
वन वृक्ष ये सारी मेरी फुलवारी
सबका घर से निकलना हुआ भरी
जल रही अंदर दुखों की एक चिंगारी
विपदा आई ये कैसी भारी,
देखो जहा वहा पे हा हा कIर है ।
दुखी आज ये सारा संसार है।
अस्पतालों में लगी लंबी कतार है।
लोगो की रोने की पुकार है।
कई बेटियो की आप से गुहार है।
पेड़ पौधे ही तो जीवन का आधार है।
इनके बिना ना ये जीवन ना ये संसार है।
कर्तव्यों का हम पर भी थोड़ा भार है।
भले ही मिले हमे बहोत से अधिकार है।
हम आप ही तो इसके जिम्मेदार है।
चलना अब सबको एक साथ है
बचा समय अभी भी थोड़ा पास है।
बिक रहा बाजारों में आज स्वास है।
स्थिति अभी की सभी को ज्ञात है।
चल रही मन में बस एक ही बात है।
हम आप ही तो इसके जिम्मेदार है।
नैसर्गिक वस्तुओं को ना सताना है।
कोविड से देश को बचाना है।
इसके लिए सोचना ना कोई बहाना है।
कोविड से बचना और सभी को बचाना है।
Neha Sushil kumar Dubey
R.K.T College
M.A PART -II

Language: Hindi
285 Views
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