कोविड
रो रही है सृष्टि आज सारी
वन वृक्ष ये सारी मेरी फुलवारी
सबका घर से निकलना हुआ भरी
जल रही अंदर दुखों की एक चिंगारी
विपदा आई ये कैसी भारी,
देखो जहा वहा पे हा हा कIर है ।
दुखी आज ये सारा संसार है।
अस्पतालों में लगी लंबी कतार है।
लोगो की रोने की पुकार है।
कई बेटियो की आप से गुहार है।
पेड़ पौधे ही तो जीवन का आधार है।
इनके बिना ना ये जीवन ना ये संसार है।
कर्तव्यों का हम पर भी थोड़ा भार है।
भले ही मिले हमे बहोत से अधिकार है।
हम आप ही तो इसके जिम्मेदार है।
चलना अब सबको एक साथ है
बचा समय अभी भी थोड़ा पास है।
बिक रहा बाजारों में आज स्वास है।
स्थिति अभी की सभी को ज्ञात है।
चल रही मन में बस एक ही बात है।
हम आप ही तो इसके जिम्मेदार है।
नैसर्गिक वस्तुओं को ना सताना है।
कोविड से देश को बचाना है।
इसके लिए सोचना ना कोई बहाना है।
कोविड से बचना और सभी को बचाना है।
Neha Sushil kumar Dubey
R.K.T College
M.A PART -II