Shyam Vashishtha 'शाहिद' Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-जितने पाए दर्द नुकीले जितने पाए दर्द नुकीले उतने गाए गीत सुरीले साँप हमारा क्या कर लेंगे वो ज़हरीले हम ज़हरीले आदमखोर हुई है दुनिया आँखें काली,चेहरे पीले सबको जीवन बाँटे कुदरत साँसे गिनकर... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 64 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-जितने घाव पुराने होंगे जितने घाव पुराने होंगे उतने दर्द सयाने होंगे हँसने और हँसाने वाले पागल या दीवाने होंगे जाल वहीं पे लाज़िम समझो जहाँ जहाँ भी दाने होंगे खंजर तो कोरा कागज़... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 81 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-अपनी ही एक ख़ुमारी है ! वैसे तो दुनिया को दुनिया प्यारी है। पर मुझ में अपनी ही एक ख़ुमारी है। याद नहीं आता है अब कोई मुझको, दुनियादारी आख़िर दुनियादारी है। कैसे उसकी बातों का... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 54 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read टापू लहरों के थपेड़ों से टापुओं की मिट्टी का क्षरण सदियों से होता रहा है टापू सिमट रहे हैं! वनस्पतियों को अपनी छाती पर सहेजने वाले टापू जलजीवों के पर्यटन स्थल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 92 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read वृद्धाश्रम अफसरों,न्यायाधीशों,शिक्षकों ने कामयाब व्यापारियों,दानवीरों ने व्यस्त और मस्त दयालु पीढ़ियों ने अरबपति बिल्डर्स और ज़मींदारों ने ऊँचे कलाकारों और छायाकारों ने अमीरों और वज़ीरों ने बुज़ुर्गों की सेवा के लिए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 33 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read आई सी यू महानगर के अस्पताल के आई सी यू के भीतर अपनी अंतिम साँसे लेता बीमार आई सी यू के बाहर चिंतित बीमार के तीमारदार और उन्हें सांत्वना देते रिश्तेदार फूफा,मौसा,चाचा,मामा,ताऊ,बहनोई और... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 50 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read मुहब्बत-एक नज़्म 'ग़ालिब'का हो सलीक़ा या 'जोश'की रवानी 'मजरूह' का तसव्वुर या 'फ़ैज़' की कहानी सदियाँ सिमट गई हों जैसे हरेक पल में रूहानियत है ज़िन्दा वो 'मीर' की ग़ज़ल में बातें... Poetry Writing Challenge-3 · नज़्म 89 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-क्या समझते हैं ! हमारी हर परेशानी को वो झूठा समझते हैं इधर हम हैं कि उनके झूठ को सच्चा समझते हैं हमारी सोच का इस बात से होता है अंदाज़ा हमें तुम क्या... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 42 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 2 min read नाकाम पिता मैं पिता हूँ मगर आज नाकाम हूँ अपने बच्चों की नज़रों में बेदाम हूँ मेरी तालीम में कुछ कमी रह गई वक़्त की आँख में बस नमी रह गई परवरिश... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 45 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read आदमी आदमी है आदमी की ज़ात क्या! कोई बदलेगा तेरे हालात क्या!! आसमाँ से कौंधती हैं बिजलियाँ, हम सभी हालात की कठपुतलियाँ, नाचते रहते हैं दिन क्या,रात क्या! जो मसीहा बन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 62 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-सपेरे भी बहुत हैं ! गो ज़हर भरे नागों के डेरे भी बहुत हैं पर अपने इलाके में सपेरे भी बहुत हैं माना के सियह रात है क़ाबिज़ हैं अँधेरे हर रात के आँचल में... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल · ग़ज़ल 1 40 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-कुछ नहीं आता ! दिन-रात की आफत के सिवा कुछ नहीं आता चाहत में मुसीबत के सिवा कुछ नहीं आता लो चाय में भी चाय की पत्ती नहीं डाली तुमको तो मुहब्बत के सिवा... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल · ग़ज़ल 1 54 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-समय की ताल पर किसलिए हँसते हो मेरे हाल पर नाचते हैं सब समय की ताल पर इश्क़ ने ला कर कहाँ पटका मुझे अब ग़ज़ल होती है आटे दाल पर बद्दुआ मत ले... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 50 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-न जाने किसलिए न जाने किसलिए ऐसा यहाँ हर बार होता है उन्हें काँटे मिले जिनको गुलों से प्यार होता है हवाओ तुम ही जा कर बिजलियों को आज समझाओ बहुत मुश्किल से... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 67 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-दुनिया में दुनियादारी का बोझ दुनिया में दुनियादारी का बोझ उठाना पड़ता है और कई सपनों को चुपके से मर जाना पड़ता है शिव हों या सुकरात ज़हर यूँ ही पीता है कौन मगर आम... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 54 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read भजन-श्री श्याम बाबा दोहा: दुनिया इक मझधार है,श्याम हैं खेवनहार श्याम मेरी सरकार हैं,श्याम ही पालनहार मेरे श्याम बाबा सहारा तुम्हीं हो भँवर है ये दुनिया किनारा तुम्हीं हो न ग़ैरों ने बख़्शा... Poetry Writing Challenge-3 · खाटू श्याम भजन गीत 1 60 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read सारा जीवन बीत गया है! आधा धीरज रख कर बीता आधा मारामारी में, सारा जीवन बीत गया है जीने की तैय्यारी में ! रोज़ चले पर कहीं न पहुँचे ऎसी डगर मिली हमको सपनों में... Poetry Writing Challenge-3 · नवगीत 1 47 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read मर मर कर जीना पड़ता है ! धड़कन में तेज़ाब घुला है सांसों में अंगारे मर मर कर जीना पड़ता है क्यूं हमको मितवा रे सपनों के सैलाब उठे जो आंखों में डूबे हैं नींद नहीं पलकों... Poetry Writing Challenge-3 · नवगीत 1 50 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read रावण तो अब भी ज़िन्दा है ! रावण बेशक़ था विद्वान! लेकिन पर-नारी पर उसने, बुरी नज़र जब डाली, उसी वक़्त उसके विनाश की, लीला लिखी गई थी! रामचन्द्र ने मार दिया था, उस रावण को! तब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 36 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read सड़क सुरक्षा दोहे जब भी चलना रोड़ पे, चलना बाईं ओर। बेशक काली रात हो या चमकीली भोर।। चलते चलते मत करो, मोबाइल पर बात। पालन नियमों का करो,तभी बनेगी बात।। चलना बत्ती... Poetry Writing Challenge-3 · दोहे 1 91 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 3 min read पीड़ा का अनुवाद (लोकडाउन के दौरान मज़दूरों की व्यथा) हम मज़दूर चले हैं नंगे पाँव साहब जाने कब पहुँचेंगे अपने गाँव साहब पीड़ाओं के पंख पहनकर दुविधाओं की चादर ओढ़े युगों युगों से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 34 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read होली है !!! होली है तो ख़ुशरंग गुलालों की बात हो रंजिश की बात हो न मलालों की बात हो इन्सानियत के फूल हों,ख़ुशबू हो प्यार की ऐसे ही महके महके ख़यालों की... Poetry Writing Challenge-3 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 1 62 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-दिल में दुनिया की पीर दिल में दुनिया की पीर ज़िंदा है यानि मेरा ज़मीर ज़िंदा है कोई हिन्दू है कोई मुस्लिम है कैसे कह दूँ कबीर ज़िंदा है तुझको देखा तो बस यही सोचा... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल · ग़ज़ल 1 61 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read बेटियाँ कितने उलझे सवालों का हल बेटियाँ आज बेटों से ज़्यादा सफ़ल बेटियाँ आसमानों से आगे के सपने बुनें फिर भी अचला के जैसी अचल बेटियाँ जैसे मधुबन में मोहन की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 48 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल - बड़े लोगों की आदत है! सभी के ऐब गिनवाना बड़े लोगों की आदत है करें क्यूँ फिक्र दुनिया की जो अपनी साफ़ नीयत है हमें ही कम मिला सब कुछ यही सबको शिकायत है सभी... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 47 Share