शुभांगी छंद
*शुभांगी छंद* जो सबका प्रिय,वह मेरा प्रिय,मधुमय अनुपम,प्रिय सारा। जिसमें प्रियता,वहाँ शुद्धता,सदा भव्यता,सब न्यारा।। वह प्रिय मानव,सदा हितैषी,अति संतोषी,जयकारा। इत्र समाना,सभ्य सुजाना,भव्य सुहाना,शिव धारा।। साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
Poetry Writing Challenge-3