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3 May 2024 · 1 min read

अमृत ध्वनि छंद

अमृतध्वनि छंद

बाहर बस आपात में,भीतर रह सामान्य।
गर्मी की गर्दिश बहुत,प्राण सुरक्षा मान्य।।
प्राण सुरक्षा मान्य,सोचकर,बाहर निकलो।
बजे जहाँ पर,सुख की बंशी,तुम वहीं चलो।।
आग उगलता,सूरज चाचा,रहना बचकर।
बिना जरूरत,नहीं निकलना,घर से बाहर।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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