PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 31 May 2024 · 1 min read अलख क्रांति आग लगाई है कहीं तुमने अगर, खून के अश्कों से बुझानी पड़ेगी। जिंदगी जहर है या कहीं अमृत है, पीने की जहमत उठानी पड़ेगी। भस्म नहीं हो जाए जज़बात कहीं,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 106 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 30 May 2024 · 1 min read दिव्य अंगार कौन जिम्मेदार है? समाज की व्यथा का। रग -रग दुखाती दुखान्त कथा का। विद्रूपता, विद्रोह बन गए हैं अंग। सिमटी है जीवन की उल्लासित तरंग। हर मोड़ हर डगर पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 5 100 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 27 May 2024 · 1 min read कली मुझे तोड़कर भी तुम मुझे मिटा नहीं सकते, फूल हूॅं जिसे कुचल खुशबू उडा नहीं सकते। कुचले अगर हथेली महक रह ही जाएगी, मिटेगा नहीं स्वर मेरी चहक रह जाएगी।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 88 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 May 2024 · 1 min read कृषक-किशोरी होठों पर तो शतदल खिलते, नयनों में नव्य रंग सजते, इंद्रधनुषी नव स्वपनों के घिर -घिर आते कारे बादल। अल्प वस्त्रों में है आवृत्ता, कसी और तपी नव यौवना, ढल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 47 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 May 2024 · 1 min read विवश लड़की वह लड़की कर रही है अंतहीन संघर्ष। पथरीली डगर तपती दुपहर नंगे पैरों ही तय कर रही सफर। हर कदम पर घूरती नजरे देख-देख कर सिहरता अंतर। दर्द का सागर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 51 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 May 2024 · 1 min read जलधर धरती तपती जलता अंबर, कहाॅं खोए हो बोलो जलधर? पलक बिछाए कृषक निहारे, क्यूं ना अब तक आप पधारे? सारी आस टिकी है तुम पर, कहाॅं खोए हो बोलो जलधर?... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 76 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 22 May 2024 · 1 min read नई पीढ़ी आज नई पीढ़ी के बहुत से युवा फॅंसते जा रहे हैं, एक ऐसे जाल में जिसे सुलझाना तो दूर सुलझने के प्रयास में उलझना हीं उलझना है। उन्होंने पकड़ लिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 53 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 22 May 2024 · 2 min read नव भानु देखो भटक रहा है अभी उजाला तम के ही गलियारे में, कितने दीपक बलि चढ़ गए अब तक इस गहरे अंधियारे में। तम के इस काले साये को तो अब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 125 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read कुंभकार मृतिका को नित गढ़ गढ़कर देते नए-नए आकार। धन्य हो तुम ओ कुंभकार ! हाथों में है जादू की लय रखे कुंभ में ठंड पेय। पीकर आह्लादित संसार धन्य हो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 85 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read समझाए काल रवि की प्रचंडता से तड़प उठे चराचर सभी। छाया भी छाया तके तरु तले थकी -थकी। कृश वदना सरिता हुई रहा ना उज्ज्वल नीर। कहाॅं समीर में सिहरन लूऍं बढ़ाती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 5 92 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read ममता तेरा हौले से माॅं कह देना, मुझे देखकर यूं हॅंस देना, तन- मन में उठाता हिलोर ममता का कोई ओर न छोर। माॅं बनकर है इतना जाना, स्नेह का अद्भुत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 115 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read माॅंं ! तुम टूटना नहीं माॅं तुम टूटना नहीं। आज का मनुज, तुम्हारा बेटा भूल चुका है- सौंधी मिट्टी की महक, चिड़ियों की प्यारी चहक, रिश्तो की गर्माहट। अहम के खोखलेपन में अपने स्वत्व को... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 52 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read हे कृष्ण हे व्यक्त अव्यक्त सर्वव्यापी कृष्ण। बन उद्धारक करो वेदना का शमन। जल बिन मछली जैसे तड़पे यह मन, कैसे पाऊं तुम्हें बिखरा जग -दर्पण? पूजा न जानूं ना ही सेवा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 65 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 May 2024 · 1 min read प्यारी रात सुबह का जोगी गेरुआ वस्त्र पहने लेकर अनूठा इकतारा सूर्य अराधना मे रत। प्रचंड तेजस्वी तपती दुपहरी अपने तप के तेज से करती व्याकुल इंद्रासन। सौम्य साध्वी संध्या बिखेर कर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 50 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 May 2024 · 1 min read मानी बादल हरियाली खोई बहाव में, धूसर हो गई धरती की, प्यारी-प्यारी चूनर धानी। कितने बरसे बादल मानी? पानी में डूबे गाॅंव-गाॅंव , कहाॅं जले चूल्हे औ'अलाव? चारों तरफ पानी पानी। कितने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 46 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 10 May 2024 · 1 min read शेष है - तूफान ,भूकंप, अकाल, बर्बादी , कीड़ों की तरह बढ़ती आबादी , जगह कहाॅं है रहने को ? शेष है- अभी तो बहुत कुछ कहने को। उबलती, उफनती हुई जवानी, बूढ़ी... Poetry Writing Challenge-3 3 95 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 May 2024 · 1 min read अद्भुत प्रयास जिंदगी की दौड़ में यह भीड़ ,भागती हुई उलझ चुकी है, अपने ही घेरों में। जब- जब टूटेंगे भीतर के घेरे हर और होगा उज्ज्वल उजास। भागता समय एक क्षण... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 102 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 May 2024 · 1 min read आकाश और पृथ्वी तुम आकाश हो अनंत तक फैले मगर हृदय में शून्य समेटे। यह पृथ्वी है बहुत सीमित मगर मिट्टी से संस्कारित। मैंने सुना है लोग कहते हैं क्षितिज पर मही आकाश... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 124 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read नव रूप रात की स्याही घोलकर सूरज दिन पृष्ठ पर कुछ अंकित करने लगा है। किरणों के शब्दों से छूकर हृदय सुनहरी गुलाल मुख पर मलने लगा है। पा प्रकाश का अवलंबन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 83 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read काश! तन थका- थका, मन बुझा-बुझा, नयनों से झलके सिर्फ अवसाद। जाने कहाॅं खोया जीवन का मधु स्वाद? एक सराय बना घर सुबह शाम सफर दोपहर में दफ्तर रात में तेरी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 117 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read मेरा वजूद तुम कहते हो मैं सोचना बंद कर दूं तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। मगर तुम नहीं जानते इस तरह तो सृजन का अंत हो जाएगा। मेरा दर्द होगा नहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 125 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read तुम आओ एक बार तुम आओ एक बार। अनवरत प्रतीक्षारत ऑंखें अश्रु भीगी पलकों की पाॅंखें चित्रित-सी एकटक पथ रही है निहार। तुम आओ एक बार। तुम्हारे आने का अटूट विश्वास आतुर हृदय हर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 125 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read मेरी प्रतिभा मेरी प्रतिभा तू मेरे ऑंगन की दीपशिखा बन जा। मुझे तू उन्मत्त बना इस जीवन की मदिरा बन जा।। उर क्रन्दन करता है मेरा विश्वासों की टूटन से, विलग नहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 171 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 3 May 2024 · 1 min read सृष्टि का रहस्य नारी जीती रही है , अपनी अंतर्विरोधों के बीच वह नहीं जानती थी कि वह क्या है? कितनी ही चरित्र अभिनीत कर चुकी है और निरंतर कर रही है। मगर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 56 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 2 May 2024 · 1 min read वह नारी व्यस्तताओं के मकड़ जाल में उलझा हुआ जीवन का दामन। फिर भी काव्य-सृजन हित कैसे चुन लेती अमर क्षण मनभावन। लपक झपक कर काम-काज विद्यादान हेतु बने शारदा। हो जाती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 2 155 Share