Khajan Singh Nain Poetry Writing Challenge-3 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Khajan Singh Nain 31 May 2024 · 2 min read "स्थानांतरण" :१: कैसी है क़ुदरत की नीति, एक समान है स्थिति। किसी के मरण की, तथा किसी के स्थानांतरण की। बिछुड़ने की स्थिति में हर आत्मा रोती है, मंच से औपचारिक... Poetry Writing Challenge-3 51 Share Khajan Singh Nain 31 May 2024 · 1 min read उदर-विकार मरीज का सरसरी तौर पर मुआयना करके डाक्टर ने कहा ...... शायद इसको उदर विकार है, इसी लिए हाहाकार है. साथ आये व्यक्ति से पूछा ...... क्या लंबे समय से... Poetry Writing Challenge-3 52 Share Khajan Singh Nain 30 May 2024 · 2 min read "संक्रमण काल" यह मिल कर आपदा को खत्म करने की लड़ाई है, मानव पर संकट बन कोरोना वायरस आई है । लेकिन सारी क्षमता तो इसी में खर्च कर दी, लड़ाई दुश्मन... Poetry Writing Challenge-3 64 Share Khajan Singh Nain 27 May 2024 · 1 min read विशेषज्ञ अधिकारी पड़ता है कितना भारी, होना बैंक में विशेषज्ञ अधिकारी। उस पर कार्य का भार देखिये, कार्यक्षेत्र का विस्तार देखिये। जनरल अधिकारी पर सिर्फ बैंकिंग के काम का भार, विशेषज्ञ अधिकारी... Poetry Writing Challenge-3 47 Share Khajan Singh Nain 27 May 2024 · 1 min read सिर की सफेदी अपने सफ़ेद बालों को काला क्यों नहीं करते, शरीर के रख रखाव का ध्यान क्यों नहीं रखते। कहा मान कर देखो व्यक्तित्व निखर जाएगा, अपने आप में गुलफ़ाम सा अहसास... Poetry Writing Challenge-3 61 Share Khajan Singh Nain 27 May 2024 · 1 min read दान और कोरोना काल विपदा की घड़ी है, देश पर आपदा आन पड़ी है। आर्थिक मंदी का दौर, कहीं ओर ना छोर। सरकार के संसाधन कम पड़ रहे, जन जन जी जान से लड़... Poetry Writing Challenge-3 81 Share Khajan Singh Nain 26 May 2024 · 1 min read स्वार्थ इंसान स्वार्थ में अंधा हो कर बेईमान हो गया है, आज की चकाचौंध में आदमी का ईमान खो गया है। स्वार्थ है तो फिर रिश्ते क्या होते हैं? रिश्तों का... Poetry Writing Challenge-3 76 Share Khajan Singh Nain 26 May 2024 · 1 min read मर्यादा जब सत्ता का संबल ओछे के साथ हो जाए तो इंसानियत जार जार रो देती है, और भाषा अपनी मर्यादा खो देती है। जब सत्ता का संबल ओछे के साथ... Poetry Writing Challenge-3 59 Share Khajan Singh Nain 25 May 2024 · 1 min read अहंकार जिसने भी अहंकार का स्वाद चखा है, अहंकार ने फिर उसे कहीं का नहीं रखा है। जब ज्ञान का अहंकार अंधा बनाता है, तो अहंकार का ज्ञान कहाँ रह पाता... Poetry Writing Challenge-3 1 91 Share Khajan Singh Nain 25 May 2024 · 1 min read नियोजित अभिवृद्धि मेरा किसी को टोक कर ये कहना, कि आबादी का इस तरह बढते रहना. सरासर हमारी अज्ञानता है, इसके क्या दुष्परिणाम हैं शायद तू नहीं जानता है ? क्योंकि शिक्षा... Poetry Writing Challenge-3 58 Share Khajan Singh Nain 24 May 2024 · 1 min read इंसान बनाम भगवान जब ‘ऊपरवाले’ ने एक समर्थ और सक्षम इंसान इस ग्रह पर दिया उतार, तो उस सक्षम इंसान ने अपनी सुविधानुसार कर लिए अनेकों ‘ऊपरवाले’ तैयार। उसने अपने ‘ऊपरवाले’ को अल्लाह,... Poetry Writing Challenge-3 48 Share Khajan Singh Nain 24 May 2024 · 1 min read एकलव्य एकलव्य की धनुर्विद्या देख गुरु द्रोण डर गए, और गुरु पद से नीचे उतर गए। अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर स्थापित करने के लिए, मांग़ ली गुरुदक्षिणा बिना शिक्षा दिए। किस... Poetry Writing Challenge-3 49 Share Khajan Singh Nain 24 May 2024 · 1 min read ठेका प्रथा सरकारी काम में ठेका सफल प्रयोग है, सरकार की नज़रों में नया उद्योग़ है। ठेका प्रथा देश में व्यापक हो गई है, और तो और जानवरों में भी पनप रही... Poetry Writing Challenge-3 1 61 Share Khajan Singh Nain 24 May 2024 · 1 min read जय जवान जय किसान बलि हमारे ललों की, लम्बी सूची सवालों की। दुश्मन के नाम लगा दिया, भावनाओं को भड़का दिया। दुश्मन को सबक़ सिखाने को, सिने का साइज़ बताने को। दुश्मन पर स्ट्राइक... Poetry Writing Challenge-3 37 Share Khajan Singh Nain 22 May 2024 · 1 min read इंकलाब जिंदाबाद खुद के धमाके से अलग धमाके आख़िर उसे क्यों डराते हैं, अन्य विद्रोह, पर खुद वाला सुरक्षा के लिए ज़रूर बताते हैं। निज़ाम कितना अहंकार में डूबा है हैरत है,... Poetry Writing Challenge-3 47 Share Khajan Singh Nain 22 May 2024 · 1 min read रक्षा दल गौ रक्षा के नाम पर, कुछ तत्व लगे हैं काम पर। कैसे हैं ये गौ रक्षक, बने हुए जो नर भक्षक। हो गया व्यापक यह रोग है, शायद राजपक्ष का... Poetry Writing Challenge-3 59 Share Khajan Singh Nain 22 May 2024 · 1 min read संवेदना इंसान संवेदना को ईश्वर प्रदत गुण के रूप में पाता है, पर कहते हैं पत्थर हो जाओ तो जीना आसान हो जाता है। पत्थर हुए तो जाना कि वहाँ तो... Poetry Writing Challenge-3 47 Share Khajan Singh Nain 19 May 2024 · 1 min read मानक करनी हो व्याख्या जब गुणवत्ता की, तुलना किसी दूसरे से समानता की। कि फलां आदमी दूध का धुला है, निहायत ही ईमानदार और भला है। अपनी जुबान से जो अक्सर... Poetry Writing Challenge-3 1 37 Share Khajan Singh Nain 18 May 2024 · 1 min read रिमोट कंट्रोल भगवान ने जो बुद्धि रूपी नियामत दी है, मगर सोच तो इसके सही उपयोग की है। जिसमें सामर्थ्य सबको कंट्रोल की है, वो ही आज अन्य हाथों गिरवी पड़ी है।... Poetry Writing Challenge-3 1 47 Share Khajan Singh Nain 15 May 2024 · 1 min read रोना धोना झूठ पर खड़ा घरौंदा बिखर जाता है, वक्त आने पर मुखौटा उतर जाता है। उनकी अभिनय की कलई खुल गयी, जनता को पहले ही खबर मिल गयी। भावुकता में जो... Poetry Writing Challenge-3 44 Share Khajan Singh Nain 7 May 2024 · 1 min read सरोकार जंगल छोड़ जो समाज पनपा था उसे कहाँ पहुंचा दिया है, देखते ही देखते समाज को वापिस जंगल बना दिया है। राजनीति में आज नैतिक मूल्यों के माने ही खो... Poetry Writing Challenge-3 1 55 Share Khajan Singh Nain 6 May 2024 · 1 min read "मर्यादा" बाली सुग्रीव युद्ध मे मर्यादा का अलग अर्थ नज़र आया जब मारने को तीसरे इंसान ने छुप कर तीर चलाया ललकार के साथ वार करना युद्ध की मर्यादा है, छुप... Poetry Writing Challenge-3 57 Share Khajan Singh Nain 5 May 2024 · 1 min read "मतदाता" कुटिल चाल के वशीभूत वो भावों में बह जाता है। चोट गहरी कई बार वो इस कदर खा जाता है, भावों में बह कई बार जब भूल बड़ी हो जाती... Poetry Writing Challenge-3 44 Share Khajan Singh Nain 5 May 2024 · 1 min read "भेड़ चाल" कई बार पढ़े लिखे भी बिना सोचे ही किसी के पीछे लग जाते हैं, और ऐसा करने के लिए वैज्ञानिता के कुतर्क भी घड़ लाते हैं। आज पहचानना मुश्किल है... Poetry Writing Challenge-3 83 Share Khajan Singh Nain 3 May 2024 · 1 min read "भागते चोर की लंगोटी" ईमानदारी की ओढ़नी धीरे धीरे उतरने लगी है, चोरी की एक एक कर परतें उधड़ने लगी हैं। अब चोर को सवाल पूछने की हिमाकत अखरने लगी है, ईमानदारी के मुखौटे... Poetry Writing Challenge-3 1 40 Share Khajan Singh Nain 2 May 2024 · 1 min read पागल के हाथ माचिस क्योंकि बंदर के हाथ में उस्तरा है, इसलिए देश का हाल आज बुरा है। क्या माचिस आज पागल के हाथ लगी है? क्योंकि आज देश में जगह-जगह आग लगी है।... Poetry Writing Challenge-3 1 78 Share Khajan Singh Nain 2 May 2024 · 1 min read "सच" खोज पूरी होना ही अंत है, सच की खोज तो अनंत है। जो शाश्वत है उसकी खोज कैसी? जो अंत है, अनंत है, फिर खोज कैसी? जो सनातन है, जवलंत... Poetry Writing Challenge-3 49 Share Khajan Singh Nain 1 May 2024 · 1 min read "डर बैलट पेपर का" मानव के लिए पृथ्वी परीक्षाओं की धरा है, क्योंकि मानव जीवन परीक्षाओं से भरा है। परीक्षा से पार पाने के जतन चलते रहते हैं, टिप्स देने वाले पग-पग पर मिलते... Poetry Writing Challenge-3 51 Share