महेश चन्द्र त्रिपाठी Poetry Writing Challenge-3 34 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid महेश चन्द्र त्रिपाठी 31 May 2024 · 1 min read मैं प्रभु का अतीव आभारी मेरी काया हुई कुंदनी, रोग न मुझे सताते अब। भांति-भांति के सद्विचार ही, मुझको बेहद भाते अब।। पढ़ता हूॅं मैं आर्ष ग्रन्थ अब, सन्तों के प्रवचन सुनता। प्रवचन का निहितार्थ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 72 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 30 May 2024 · 1 min read अपना सब संसार अपनी मिट्टी, महल है अपना अपना सब संसार सब कुछ अपना ही अपना है कहाँ दूसरा यार? हमीं ब्रह्म हैं, पंच तत्व हम हम ही हैं ब्रह्माण्ड हम ही हैं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 115 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 26 May 2024 · 1 min read बुद्ध होने का अर्थ दुखमय है संसार, जान लें हमें बनाते दुख असमर्थ दुख निरोध के यत्न करें हम यही बुद्ध होने का अर्थ मध्यम मार्गी बनें हमेशा किसी तरह की अति है व्यर्थ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 88 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 May 2024 · 1 min read सोया भाग्य जगाएं सपने उनके सच होते जो करते काम निरन्तर अपनी कथनी करनी में जो रखते रंच न अन्तर ज्यों-ज्यों अन्तर मिटता, त्यों-त्यों दूर निराशा भागे अड़चन कोई कभी न आती कर्मवीर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 106 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 24 May 2024 · 1 min read सागर का जल क्यों खारा एक टिटहरी सागर-तट पर, जब भी अण्डे देती थी। कोई लहर वेग की आकर, अण्डों को हर लेती थी।। कई बार जब यही हुआ तो, बढ़ न टिटहरी-कुल पाया। अतिशय... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 78 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 May 2024 · 1 min read अवधपुरी है कंचन काया अवधपुरी है कंचन काया, इसमें रमते हैं श्रीराम। श्वास रूप सरयू बहती है, करती अनुक्षण उन्हें प्रणाम।। शक्ति रूप सीता की संगति, उन्हें बनाती है बलवान। अपने में निर्भयता लाकर,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 50 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 18 May 2024 · 1 min read प्रेम परस्पर करें हम सभी प्रेम परस्पर करें हम सभी, खींचें नहीं किसी की टाॅंग। आज समय की यही जरूरत, और यही है युग की माॅंग।। प्रेमाश्रयी भक्ति से बढ़कर, भक्ति नहीं है कोई अन्य।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 50 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 May 2024 · 1 min read धन्यवाद की महिमा धन्यवाद की महिमा न्यारी अलादीन का यह चिराग है जो तन-मन को शीतल कर दे यह ऐसी दैवीय आग है धन्यवाद देने वाले का नहीं पास से कुछ जाता है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 104 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 May 2024 · 1 min read मैंने पहचान लिया तुमको जीवनाधार तुम कहलाते तुम मेरे सपनों में आते तुम मेरे उरपुर के वासी तुम मुझसे कविता लिखवाते जब भी तुम दर्शन देते हो मेरी पीड़ा हर लेते हो मेरे नयनों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 91 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read परमेश्वर की वार्ता धरती से ज्यादा माँ सहिष्णु गतिवान वायु से ज्यादा मन पत्थर के हृदय नहीं होता मछली सोती है खोल नयन सबसे बढ़कर है धर्म दया मन-कल्मष को त्यागना स्नान जो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 48 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आओ अच्छाई अपनाकर अच्छे विचार अच्छे भावों, को जन्म दिया करते हैं अच्छे भावों से भरकर हम, सत्कर्म किया करते हैं बुरे विचार बुरे भावों से , जब हमको भर देते हैं अवसादित... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 40 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मजेदार है जीवन मजेदार है जीवन अपना, जीवन जीना है आसान परमात्मा की अनुकम्पा से, हम पर बरस रहे वरदान शरण गहें हम परमात्मा की, इससे बड़ा न कोई ज्ञान वह चाहता तभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 39 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read उषा का जन्म जब हुआ उषा का जन्म, मृदुल- शीतल-सुरभित समीर डोली मुर्गे की बाँग सुनाई दी सुन पड़ी धतूरे की बोली विहगों ने त्याग बसेरा निज कलरव से जग को जगा दिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 43 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read अर्थ काम के लिए अर्थ काम के लिए निरन्तर, होते बड़े-बड़े अपराध। हर सम्बन्ध गौण हो जाता, अपना ही बन जाता ब्याध।। मायापति की माया समझें, यही सिखाता हमको धर्म, यह सारी वसुधा कुटुम्ब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 51 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हमें पकड़ते नहीं हमें पकड़ते नहीं दुर्व्यसन, हम ही इन्हें पकड़ते हैं। ढोंग छोड़ने का करके हम, प्रतिपल इन्हें जकड़ते हैं।। अपनी लाख बुरी आदत के, दुर्गुण तो गाते हैं हम। लेकिन इच्छाशक्ति... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 36 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मैं अकूत धन का स्वामी मैं अकूत धन का स्वामी हूं मैं हूं विश्व-विजेता मेरे जैसा अन्य न कोई मैं युग का नचिकेता मेरा वार्तालाप प्रकृति के कण-कण से होता है जगतपिता मेरे मानस में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 31 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read नव पल्लव आए नव पल्लव आए तन तरु में जब पतझड़ से अवकाश मिला रोमांचित रोमावली अजिर उर उपवन में नव कुसुम खिला 💐 फिर से नूतन आशा जागी लगता उपलब्धि पुनः सम्भव... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 115 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हैं भण्डार भरे हैं भण्डार भरे दाता के, होते कभी न खाली। जिसने जितनी दौलत मांगी, उसने उतनी पा ली।। प्रभु के पास प्रचुरता धन की, इच्छित धन मिल जाता। देने वाला हर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 48 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मुझ पर करो मेहरबानी मुझ पर करो मेहरबानी तुम मेरी ओर न हेरो मेरी पीठ, पीठ रहने दो अपना हाथ न फेरो तुम जिसका सिर सहलाते हो शुभाशीष देते हो प्रायः पागल हो जाता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 50 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आकर्षण का नियम आकर्षण का नियम, प्रेम का नियम कहा जाता है। जो करता है प्रेम, प्रेम से वह सब कुछ पाता है।। प्रेम-भाव से सराबोर जो, वह अजेय बन जाता। उसके ऊपर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 40 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हम रोते नहीं हम रोते नहीं, न रोयेंगे हम हॅंस-हॅंस हर दुख धोयेंगे हम कभी न होंगे शोकमग्न हम साथ सुखों के सोयेंगे हम सुख-दुख में रहते हैं सम मरने से कभी न... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 67 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्रेषित करें प्रणाम जीवन में हम काम वह करें जिससे हमें मिले आनन्द। जिससे उचट-उचट जाता मन उसको करना कर दें बन्द।। काम डूबकर कर पायेंगे यदि वह करना हमें पसन्द। और तभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 33 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read जीवन है अनमोल जीवन है अनमोल और साॅंसें हैं सीमित अतः ज़रूरी है सुकीर्ति कर लें हम अर्जित करें न ऐसा काम कि जिससे छवि हो धूमिल नेक कार्य में सदा-सर्वदा हों हम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 54 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हे जग की माता अवनी—अम्बर को आलोकित करती निर्मल हंसी तुम्हारी मां! तुम पर बलि—बलि जाते हैं भूमण्डल के सब नर—नारी सभी तुम्हारी अनुकम्पा के याचक हैं, हे जग की माता ! जिस पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 34 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आने वाला युग नारी का नारियां पहनतीं जींस—टॉप नारियां विमान उड़ाती हैं वे अन्तरिक्ष की यात्रा पर बेखौफ बेधड़क जाती हैं अपने अर्जन से वस्त्र पहन अपने अर्जन का खाती हैं अपना हक हक से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 50 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हा रघुनन्दन ! टूट गई मेरे बिन चाहे डोर नेह की असमय ही बढ़ गई अचानक पीर देह की लगी सताने याद अनवरत मन अकुलाए लाख यत्न के बावजूद हिय शान्ति न पाए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 96 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्रेम करें.... यदि प्रेम करें सागर से यदि तो खारा जल मीठा हो जाए प्रेम करें पेड़ो-पौधों से तो न प्रदूषण हमें सताए प्रेम करें पर्वत से यदि तो वह चरणों में नत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 47 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read तू कैसा रिपुसूदन मन को उड़ना नहीं सिखाया थिर रह करता क्रन्दन रिपु विचरें सानंद धरा पर तू कैसा रिपुसूदन ! मैं हूं तेरी शरण, शरण में मन को शांति न मिलती द्रवित... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 33 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्यार की दरकार चाह रहा मैं गहन मौन में करना तुमसे प्यार गहन मौन में तुम न सकोगे मेरा प्यार नकार + चाह रहा मैं एकाकी ही करना तुमको प्यार सदा तुम्हारे एकाकीपन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 45 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read चाहता बहुत कुछ चाहता बहुत कुछ देखूं मैं चाहता बहुत कुछ पाऊं चाहता भ्रमर की भांति सदा मैं भी गुनगुनगुन गाऊं चाहता विहग बन उड़ूं और मैं दूर-दूर तक जाऊं संदेश शांति का... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 40 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read परिवर्तन सृष्टि परिवर्तनमयी है, विज्ञ पुरुषों ने कहा नए को स्थान देकर पुराना जाता रहा पूर्ण रखता स्वयं को जगदीश सर्व प्रकार से किसीको दे जन्म जगमें,किसी के संहार से कहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 39 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read जीवन में संघर्ष जीवन में संघर्ष न हो तो जीवन जीना सारहीन है। वीर कभी क्या बन पाएगा जो विलास में सहज लीन है? प्रेमपूर्वक सत्य के लिए जा सकता है सब कुछ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 48 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read अनन्यानुभूति अपनी विरहाकुलता का मैं साक्षी स्वयं अकेला साक्षी है जो अन्य उसी ने पैदा किया झमेला विरहाकुलता देन उसी की जो जन समझ न पाते वे विमोह वश व्याकुल होते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 37 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read सपनों की खिड़की सपनों की खिड़की से जो करते दुनिया में झांका पड़ जाता उनके उर में जब वे सोते तब डाका सपनों की खिड़की से भी दिखती दुनिया बहुरंगी दिख जाते पृथुल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 50 Share