Dr. Ramesh Kumar Nirmesh Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read वाणी वाणी से गुण होत है वाणी से गुण जाय, वाणी से चलता पता सबका सुनो सुभाय। मुख में बीड़ा पड़त है एक वाणी के संग , दूज वाणी से डसे... Poetry Writing Challenge-3 2 104 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read चिंतन करत मन भाग्य का करत करत चिंता सदा पहुंचा चिता के पास। दूर नहीं तृष्णा हुई पूजी न मन की आस।। आज किनारे पहुंचा जो देख अतीत की ओर। बंजर सारे खेत रह गए... Poetry Writing Challenge-3 2 89 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read मुझे बिखरने मत देना मुझे बिखरने मत देना संभला हूँ सिद्दतों से टूट कर जुड़ा हूँ मैं तुम्हे चाहते मुद्दतों से। माना कि तेरा चाहना बस एक तिलस्म सा था संभला मैं समय से... Poetry Writing Challenge-3 3 95 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read नदी किनारे क्या याद है तुम्हे? नदी किनारे को वो शाम जहाँ पहुचते ही तेरी आँखे हो जाती थी रतनाम। तुम्हे देखते ही चीड़ झूमने लगते थे बौराये हुए आम्र मंजरियों से... Poetry Writing Challenge-3 3 92 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read पल कभी इंतजार के एक एक पल बड़े भारी लगते थे काटते नही कटते थे आज जब तुम्हारा साथ छूट चला है वही जीने का एकमात्र सहारा बना है। यूं नदी... Poetry Writing Challenge-3 2 97 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read तन्हाई उम्मीदों की बिसात पर ये जिंदगी चल रही, बहुत उबरना चाहा पर तेरी तन्हाई मारती गयी। मिले थे जब से तुमसे वह समय स्वर्णिम रहा, अब तो बस यह जीवन... Poetry Writing Challenge-3 1 83 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read अब वो मुलाकात कहाँ कभी जी भर की बातें थी मुलाकात अब भारी, तेरी उल्फ़त से थी भरपूर विगत वो रात सब सारी याद है बात युवपन की लकीरे हो रही गाढ़ी , जिस्म... Poetry Writing Challenge-3 1 87 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read अहसास तेरे होने का अहसास तेरे होने का बस क्या से क्या कर जाता है, पथरीले प्रेम डगर पथ को नर्म मुलायम कर जाता है। जैसे याद तेरी आती है मन मुखरित हो उठता... Poetry Writing Challenge-3 77 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read जीना भूल गए है हम जीना भूल गए है हम तुम्हारी रुखसती के बाद खामोश हो गये है हम, एक वाक्य में कहे अगर जीना भूल गये है हम। वो घंटों की मुलाकात थी लम्हों... Poetry Writing Challenge-3 96 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read कलंक प्रेम किया नहीं अबतलक कारण रहा कलंक। मातु पिता की छबि सदा बेदाग रहे निष्कलंक।। आम बात सोचे सभी काम करो ये विचार। नहीं संग आलोचना जीवन बने अचार।। कहि... Poetry Writing Challenge-3 37 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read नादान परिंदा नादान परिंदा बेचारा फंस गया देख मुलायम चारा। मना किया था माता ने विश्वास न करना मानव पे। चिकनी चुपड़ी बात ये करते मन मे बहुत पाप है धरते। बिन... Poetry Writing Challenge-3 1 110 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read माँ मुझे विश्राम दे दिवस श्रृंखला बीत चुकी माँ बचन निभाता आया हूँ अब दे दो माँ विश्राम मुझे अब दर्द नही सह पाता हूँ। एक प्रतिज्ञा ली थी मैंने परोपकार करता ही रहूंगा,... Poetry Writing Challenge-3 1 113 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read कसौटी जिंदगी की ध्वस्त हुए जीवन प्रतिमान लगी किनारे बंदगी, आता नही समझ मुझको कैसी है कसौटी जिंदगी। पूरित जीवन के जैसे हो अभीष्ट सारे प्रतिफल, संगीत समाहित जीवन में जैसे नदियों की... Poetry Writing Challenge-3 1 73 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 2 min read चुनावी मौसम धूप प्रचंड में चल रहे झेलते लू के थपेड़े, चुनावी मौसम आ गया हाथ दोनों जुड़ चुके। दादा दादी के मधुर मनोहर उद्बोधन, कक्का के हाल चाल ले बाँटते हलुआ... Poetry Writing Challenge-3 1 75 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read मुर्दे भी मोहित हुए अगले मोड़ पर वह आज भी बैठती उदास, ढोते कृशकाय तन मन करता दीखता विलाप। कई प्रयास के बाद उसने मुहं आखिर खोला, क्या बताऊ बाबू खूब खेलता रहा मौला।... Poetry Writing Challenge-3 1 99 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read मन्नत के धागे हाथ का कलावा हर उत्सव पर बदलता है पर मां के मन्नत का धागा आज भी मेरे बाजू पर यथावत बना रहता है। याद है एक बार मैं बीमार बहुत... Poetry Writing Challenge-3 1 105 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read नव्य द्वीप नव्य द्वीप का रहने वाला ले आया हूँ प्रेम की गागर, चाह मेरी की अब समेट लू तेरे प्यार की पूरी सागर। भर भर के अतिरेक प्रेम था सदा किया... Poetry Writing Challenge-3 1 85 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read गीता हो या मानस शाम जीवन की हो रही सुनो है आयु ये कहती , कोई भी पार्टी निर्मेश शुरू भी शाम से होती। असीमित झंझटों से थे अभी तक घिर गए थे हम,... Poetry Writing Challenge-3 1 79 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read नमन तुमको है वीणापाणि भॅवर में ज्ञान की कश्ती करो उस पर तुम माता जननी ज्ञान की हो तुम दया मुझ पे करो माता । कुंठित ज्ञान की गंगा पड़ी अज्ञान सागर में ज्ञान... Poetry Writing Challenge-3 1 93 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read पापा तेरे जाना सुनो पापा सहा नहि जाता मुझसे है तेरे बिन दूभर है जीना कहूँ ये दास्तां किससे है। लिखे कुर्बानिया तेरी किसी के बस नहीं पापा कलम ऐसी विधाता... Poetry Writing Challenge-3 1 108 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 2 min read सियासत सियासी दुकानें सब ओर सज चुकी है, कहीं बिक रही गरीबी कहीं बेरोजगारी तो कहीं शिक्षा तबियत से बिक रही है। कहीं पुरानी शिक्षा को मैकाले की बता कर खुद... Poetry Writing Challenge-3 1 95 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read अमरत्व चिरायु बनने की चाह एक जीव की अभिलाषा, पर जीवन व मृत्यु के बीच झूलती प्रत्याशा। एक सिक्के के दो पहलू सनातन से रहे दोनों ही है, निरापद एक के... Poetry Writing Challenge-3 1 69 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read वैशाख की धूप इस बार का वैशाख जेठ से भारी लग रहा, तपिश का ये आलम है कि आग सा ये जल रहा। भास्कर बरसा रहा अनल जल स्वाहा सा, देखो बेचैन वृन्द... Poetry Writing Challenge-3 1 80 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read हिस्से की धूप तुम्हारे हिस्से की कुछ धूप को हमने चुराया है, कुछ रस्म बेवफाई का हमने निभाया है। कटे जो हाथ अपना तो सुनो अहसास होता है, कटा दूजे का कर तो... Poetry Writing Challenge-3 1 82 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 1 May 2024 · 1 min read मजदूर हूँ साहेब मजदूर हूँ साहेब रोज बिकता हूँ मै सरेआम खुले बाजार में, मै मजदूर हूँ साहेब सोता हूँ खुले आसमान में। कंकड़ों की चादर शिलाओं की बना तकिया, बिस्तर कुछ खास... Poetry Writing Challenge-3 2 77 Share