सोनू हंस Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सोनू हंस 9 May 2024 · 1 min read देखो जग सारा जागा है देखो जग सारा जागा है उषा की आहट पाकर तिमिर डरकर भागा है तुम भी जागो हे मनुज देखो जग सारा जागा है अठखेली करती दिनकर किरणें पोखर में संग... Poetry Writing Challenge-3 70 Share सोनू हंस 9 May 2024 · 1 min read व्यथित मन री आली! न कोई कहूँ जिसे मन की व्यथा अपनी पीर मैं ही जानूँ क्या है अंतस् दशा अहर्निश व्यग्र उद्विग्न नहीं चैन अब पल छिन बाँध पाई न ताल-सुरों... Poetry Writing Challenge-3 99 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 2 min read गौरैया कहते हैं उसका अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है उसकी प्रजाति विलुप्त होती जा रही है पर आज भी वो दिख जाती है घास के छोटे-छोटे तिनको को दबाए मेरे... Poetry Writing Challenge-3 1 85 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read गुरु गुरु गुरु. . . . अनंत है अद्भुत है अनुपम है गुरु. . . . शुभ्र है द्विज है जय है गुरु. . . . विजय है अग्रज है ठौर... Poetry Writing Challenge-3 1 79 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read सत्य की खोज विकल है मन अटका हुआ सा है कहीं कुछ तो है जो संभवतः अज्ञात है अंतर्मन कहता है कि- जो सामने है वो या तो अर्द्ध सत्य है या सर्वथा... Poetry Writing Challenge-3 1 52 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read देख यायावर! तुझे दरिया बुलाते हैं, बूँदों के हार लेकर। तुझे अडिग पर्वत बुलाते हैं, हिम कणों का भार लेकर। देख यायावर! तू ठहरना नहीं, जब तलक वादियाँ मिल जाए न। देख... Poetry Writing Challenge-3 1 68 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read उड़ने दे मुझे सूख चुके हैं नयन-नीरद फिर भी ये बरसने को बेताब पर विडंबना यही कि सूख चुके हैं नयन-तलाव फिर भी ये बिखरने को बेताब पर तड़पना यही कि सूख चुके... Poetry Writing Challenge-3 66 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 2 min read आ रही हो न (बारहमासा) देखो. . . . . सुनो न अब और न रुलाना मुझे आँखों के तलाव अब सूख चुके हैं इनकी बहने की क्षमता निम्न हो गई है पर तुम्हारा ये... Poetry Writing Challenge-3 1 56 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read पहाड़ गुस्से में हैं पहाड़ गुस्से में हैं कौन चाहता है कोई उनकी सीमा लाँघे? फिर भी लाँघते हैं लोग असीम बनने की खातिर सीमाओं को इसी तरह लाँघा है पहाड़ों को बुद्धजीवियों ने... Poetry Writing Challenge-3 82 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read ये रिश्ते ये रेत की दीवारों से दरकते रिश्ते, एक पल में बन जाते हैं और एक पल में बिखर जाते हैं। कोई सपना देकर चला जाता है, झूठा वादा करके चला... Poetry Writing Challenge-3 1 60 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read देखा है कभी? देखा है कभी? दूर क्षितिज में उतरती डूबते रवि की रश्मियों को, लगता है जैसे जिंदगी उदास हो रही हो कोई कहीं अश्रुजल से दामन भिगो रही हो। लगता है... Poetry Writing Challenge-3 46 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read वक्त के पहरुए सुनो.... वक्त के पहरुए बुला रहे हैं तीखी सी आवाज दे रहे हैं छोड़ मत देना ये किस्सा आज का जो वे सुना रहे हैं देखो... ये आज मधुर भ्रमरियों... Poetry Writing Challenge-3 1 39 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 2 min read अरे मेघ! मेरे दूत बन जाओ अरे मेघ! बरस रहे हो क्या, थोड़ा सा साथ अपने आज हमें भी बरसने दो बंजर है हमारी ख्वाहिशों की जमीं उसे भी थोड़ा नमी हो जाने दो अरे मेघ!... Poetry Writing Challenge-3 1 51 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read उर्मिला व्यथा सुन रे ओ मलय पवन मेरा इतना बैरी न बन तेरी ये बयार मुझे दहकाती सुरभि न तेरी मुझे महकाती मनमानी कर मुझे सतावे क्यों? मुझ बिरहन को जलावे क्यों?... Poetry Writing Challenge-3 63 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read एक थी नदी नदी..... चिल्लाती है टूटती अवशेष सी डूबती श्वासों से अपशिष्ट के भार से घुटती हुई जीवन प्रदायिनी आज स्वयं संघर्ष रत है जीने के लिए वे विस्तृत घाट स्मृति शेष... Poetry Writing Challenge-3 45 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read मिलन देखो.... तुम चले आना.. थोड़ा सा समय निकालकर बहुत सी बातों को बाँटना हैं तुमसे और बहुत सी यादों को सहेजकर रखना है तुम्हें याद है न जब हम पहली... Poetry Writing Challenge-3 1 44 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read सफेद चादर आजकल. . . . मैं एक चादर ओढे़ रखता हूँ जो सफेद है उज्ज्वल है, सरल भी जो मेरे लिए कवच सरीखी है सभा हो, सड़क हो घर हो, बाहर... Poetry Writing Challenge-3 1 55 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read सकार से नकार तक(प्रवृत्ति) इंसान. . . . बरसो से जिज्ञासु रहा है उसकी प्रवृत्ति होती है सकार से ज्यादा नकार की ओर चलने की भूखे इंसान ने कहा भगवान् से कुछ खाने को... Poetry Writing Challenge-3 1 43 Share सोनू हंस 8 May 2024 · 1 min read आगाज...जिंदगी का कभी आगाज जो मेरे साथ जिंदगी का करना तुम, तो मेरे दोस्त केवल मुझ पर यही भरोसा करना तुम छोडूंगा न साथ जीवन भर तक यूँ तो राहों में अनेक... Poetry Writing Challenge-3 1 46 Share सोनू हंस 3 May 2024 · 2 min read है अब मनुजता कहाँ? चहुँओर नि:स्तब्धता और नीरवता है परंतु फिर भी चीरती है एक आवाज सन्नाटे के वक्ष को रुदन कर रहा है मौन क्यूँ फिर भी कहीं से सिसकियाँ क्यूँ हृदय का... Poetry Writing Challenge-3 1 39 Share सोनू हंस 3 May 2024 · 2 min read कैसे छपेगी किताब मेरी??? मैं कोई प्रसिद्ध कवि नहीं हूँ न हीं कोई लोकप्रिय लेखक हूँ पर..हाँ मुझे लिखना पसंद है विविध विषयों पर चिड़िया पर, आकाश पर, पानी पर, मनुज पर, स्त्री पर... Poetry Writing Challenge-3 1 50 Share सोनू हंस 3 May 2024 · 1 min read दस नंबर मेरे मोबाइल में अब दस नाम ऐसे हैं जिनसे मैं नहीं कर सकता संपर्क उन नामों पर जिस नाम से वे मेरे फोन में सुरक्षित हैं क्योंकि.... उन नामों वाले... Poetry Writing Challenge-3 49 Share सोनू हंस 3 May 2024 · 1 min read मुझे उड़ना है मुझे उड़ना है खात् में, पंखविहीन न करना तुम। मुझे लड़ना है समय से, गतिहीन न करना तुम॥ उस शून्य की पहेलियों को, बूझना है मुझे। अनंत, असार नीरव द्यौ... Poetry Writing Challenge-3 64 Share सोनू हंस 3 May 2024 · 1 min read मंथन जब भी हुआ मंथन परिणत प्राप्ति ही है लाभ वा हानि, विष वा अमृत। क्षीर सिंधु को मथा देवासुरों ने निकल आए बहुरत्न, लक्ष्मी तथा वस्तुएँ अनंत। *मिला अमृत तो,... Poetry Writing Challenge-3 51 Share सोनू हंस 2 May 2024 · 1 min read मैं मजबूर हूँ अब नदियों ने पानी उछालना मना कर दिया है अब सागर ने तरंगों को लहराना मना कर दिया है इसलिए जीवन में उमंगों की करवटें लाना! माफ करना...मैं मजबूर हूँ... Poetry Writing Challenge-3 52 Share