डा. सूर्यनारायण पाण्डेय Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read बाढ़ बरसात, अपने साथ लाती है बाढ़, उफना जाती हैं शांत बहती नदियाँ, ताण्डव करने लगती हैं, किनारों को उदरस्थ करने लगती हैं, यही नदियाँ, जो मानव सभ्यता की उद्गम हैं।... Poetry Writing Challenge-2 3 90 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read जलधर कितने मादक ये जलधर हैं, इठलाते, मँडराते आते, सोयी पीर जगा कर जाते, गरज-गरज कर मन भर देते, पीड़ा के विरही अंतर हैं, कितने मादक ये जलधर हैं। ये जलधर... Poetry Writing Challenge-2 1 121 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read संन्यास से त्याग तक काम्य कर्मों के त्याग को संन्यास और कर्मों के फल त्याग को ‘त्याग’ के रूप में परिभाषित करने की प्रचलित धारणा है. ‘संन्यास’ व ‘त्याग’ की धारणाएं हैं अपनी-अपनी, अशेष... Poetry Writing Challenge-2 2 1 128 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read विश्वास रूचि के अनुसार होती है ‘श्रद्धा’ अस्तु, श्रद्धा का पृथक्-पृथक् होना स्वाभाविक है. देखें- सात्त्विक की श्रद्धा किसमें होगी ? निश्चय ही देवों में ‘राजस’ की ‘यक्ष’ में और राक्षसों/तामसों... Poetry Writing Challenge-2 1 82 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 2 min read परमगति भय’ क्या है ? इष्ट वियोग और अनिष्ट का संशय ‘भय’ है और इसकी निवृत्ति ‘अभय’. … ‘दान’ क्या है ? न्यायोपार्जित धन प्रदत्त करना ‘सुपात्र’ को दान है. …... Poetry Writing Challenge-2 1 97 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read पुरुषोत्तम वेदवेत्ता कौन होता है ? ‘अश्वत्थ’ वृक्ष का परिचित जिसके पत्ते होते हैं ‘वेद’ ‘अश्वत्थ’ केवल एक वृक्ष नहीं इसमें समाया है समस्त ज्ञान ‘अश्वत्थ’ की भाँति संसार वृक्ष की... Poetry Writing Challenge-2 1 137 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read क्या है परम ज्ञान ज्ञानों में श्रेष्ठ है ‘परम ज्ञान’ यह प्रलय काल में भी साथ देता है व्यथित नहीं होने देता. प्रकृति से उत्पन्न ‘सत्त्व’, ‘रज’ और ‘तम’ अविनाशी आत्मा को बाँध लेते... Poetry Writing Challenge-2 2 139 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read क्षेत्रक एक क्षेत्र है यह शरीर और इसका ज्ञाता ‘क्षेत्रक’ समस्त क्षेत्रों में यह ‘क्षेत्रक’ परम है ‘क्षेत्र’ व ‘क्षेत्रक’ का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है परन्तु, सभी होते हैं-‘वासुदेवात्मक’ …... Poetry Writing Challenge-2 2 86 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read सर्वशक्तिमान से निकटता प्रभु से परायण उद्धार कर देता है मृत्युरूपी संसार-सागर से वह तो परम प्राप्य है योग है चित्त की स्थिरता न होने पर निष्ठावान कराता है अभ्यासयोग. … संभव है... Poetry Writing Challenge-2 1 65 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 2 min read एश्वर्य कमलपत्राक्ष ! आकांक्षी हूँ आपके पूर्ण रूप दर्शन का ओह ! तो देख मेरे एक ही रूप में- अष्ट वसुओं, ग्यारह रूद्रों दोनों अश्विनी कुमारों और मरूतों को भी देख... Poetry Writing Challenge-2 1 138 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read मनोवृत्तियाँ प्राणियों की असंख्य मनोवृत्तियाँ- यश-अपयश, सुख-दुःख, तप-दान सब उद्भुत हैं सर्वशक्तिमान से. महाबाहो ! मैं ही हूँ सबकी उत्पत्ति का कारण मुझमें रमने वाले पात्र हो जाते हैं- बुद्धियोग का.... Poetry Writing Challenge-2 1 114 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read उपासना के निहितार्थ उपासना ‘नृप’ का पर्याय है समस्त विद्याओं का और गुप्त रखने योग्य भावों का भी. यह समर्थ है उस ब्रह्म का दर्शन कराने में जो परमपिता है. उपासना निकट पहुँचाता... Poetry Writing Challenge-2 1 45 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read श्रेष्ठ स्मरण भाव ब्रह्म’ क्या है ? परम ‘अक्षर’ है ‘ब्रह्म’ ‘अक्षर’- जिसका नाश न हो अविनाशी है यह ‘ब्रह्म’ अध्यात्म क्या है ? ‘स्वभाव’ है अध्यात्म प्रकृति है. ऐसे ही ‘कर्म’ भूतों... Poetry Writing Challenge-2 1 53 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read ज्ञानी मैं ही हूँ ‘ब्रह्म’ अष्ट प्रकृतियों का धारक पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश और मन, बुद्धि तथा अहंकार यही तो हैं मेरी अष्ट प्रकृतियाँ यही तो है ‘अपरा’ ‘परा’ प्रकृति... Poetry Writing Challenge-2 1 67 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read योगी बनाम संन्यासी संन्यासी कौन है ? कौन है योगी ? ‘कर्मफल’ की चिन्ता से मुक्त ‘कर्तव्य कर्म’ में अग्रसर संन्यासी है, योगी है, जो कर्म करता है अनवरत ‘मोक्ष’ की प्राप्ति तक.... Poetry Writing Challenge-2 1 53 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read कर्मयोग बनाम ज्ञानयोगी फिर प्रश्न- कर्मों का संन्यास- ‘ज्ञानयोग’ या फिर ‘कर्मयोग’ कौन श्रेष्ठ है ? उत्तर मिलता है- दोनों कल्याणकारी हैं पर ‘कर्म संन्यास’ से श्रेष्ठ है कर्मयोग कर्मयोग के बिना ‘ज्ञानयोग’... Poetry Writing Challenge-2 1 117 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read परमसत्ता ‘कर्मयोग’ परम्परागत है नवसृजन नहीं सूर्य-मनु-इक्ष्वाकु सबने इसे अंगीकार किया है पर क्रमशः नष्ट हो गया यह वेदान्तवर्णित उत्तम रहस्य. परमसत्ता अजन्मा होते हुए भी जन्मता है विविध रूपों में,... Poetry Writing Challenge-2 1 63 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read कर्म योग समस्त प्राणी ‘अन्न’ से आवृत्त हैं जिसे उत्पन्न करता है ‘मेघ’ जो प्रतिफल है ‘कर्म-यज्ञ’ का. यह चक्र है, अनुकरणीय जो चलता रहता है ‘कर्म-योग’ का प्रतिनिधि बन. ‘कर्मयोग’ साधन... Poetry Writing Challenge-2 1 90 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read शरीर और आत्मा पार्थ ! बिना अवसर के शोक क्यों ? और प्रारम्भ हुआ ‘गीताशास्त्र’ का अद्वितीय उपदेश- ‘गतासु’- मरणशील शरीर और ‘अगतासु’- अविनाशी आत्मा के लिए शोक क्यों ? ‘आत्मा’ नित्य है... Poetry Writing Challenge-2 1 52 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read कशमकश मधुसूदन ! जनार्दन !! कुरुक्षेत्र के मैदान में अपने सगों, कुटुम्बों को काल के गाल में भेजकर सुख कैसा ? राजसत्ता कैसी ? गाण्डीवधारी का विचलन, धनुष का परित्याग, स्वाभाविक... Poetry Writing Challenge-2 2 98 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read एक सड़क जो जाती है संसद एक आम आदमी चिल्लाता है मेरे गाँव की सड़क अभी तक नहीं बनी घोर उपेक्षा है दूसरा स्वर में स्वर मिलाता है वह भी चिल्लाता है मेरे गाँव की सड़क... Poetry Writing Challenge-2 2 83 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read दोष किसे दें कहते हैं गहन पीड़ा की भूमि पर उपजती है कविता यह दौर तो भयानक मंजर है पल, प्रति-पल चूभता नश्तर है कविता मर्माहत है, वह देख रही है – खंड-प्रलय... Poetry Writing Challenge-2 2 57 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 2 min read मुर्दे लोकतंत्र में चुनाव आते ही मुर्दे जीवित हो जाते हैं, वह लहलहाने लगते हैं नए-नए “वादों” की बहती बयार से यह वही मुर्दे हैं जो पिछले चुनाव के बाद- धीरे-धीरे मर गए... Poetry Writing Challenge-2 2 59 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read उत्कृष्ट हिन्दी हिंदी हमारे सपनों की भाषा है यह अपनों की भाषा है इसके सपने अपने हैं जिसमें “क” का कर्म भी है और “ज्ञ” का ज्ञान भी, यह हृदय से निकलती... Poetry Writing Challenge-2 1 112 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 3 min read युद्ध के मायने युद्ध में लड़ते हैं दो देश/या कई देश आपस में जैसे वह जन्मजात लड़ाके हों सभ्यता का अनवरत विकास होता गया पर यह तो अभी भी आदिम हैं जंगली हैं/आखेटक... 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