प्रकाश जुयाल 'मुकेश' Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read कर्ण का शौर्य कोई नहीं भुवन में मुझसा कोई नहीं धनुर्धर है बाकी । कौन समक्ष ये आ गया है जल रहा अग्नि की भांति ।।1।। जिन भुजाओं में ये पराक्रम कोटि सूर्य–सा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 2 2 96 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read बचपन हकीकत से रूबरू हो आए अब यादों के सहारे जिंदगी । मुड़कर भी आना चाहूं तो समेत ना पाऊंगा जिंदगी ।।1।। सारी खट्टे मीठे अनुभव समेट आयी मेरी जिंदगी ।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 4 92 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read क्या पता? जिंदगी से लड़ रहे जो कर्म से हर दफा । हार हो या जीत हो कल का क्या पता ।।1।। दूरियां दूरियों से दूर है मंजिल भी लापता । आज... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 80 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read खबर जाने की खबर आई यह सोच हँस दिया । करवट बदल रहा हूं शोर बहुत सुन लिया ।।1।। हवाओं के एक जोर ने किराए का घर बदल दिया । वर्षों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 115 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read तुम्हारी असफलता पर तुम्हारी असफलता पर सब छोड़ कर जाएंगे । दुनिया आपसे मुंह मोड़ कर रास्ता बदल जाएंगे।।1।। अपने भी पराया कहेंगे कौन है यह सवाल करेंगे । हालातो के हाथों मजबूर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 81 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read प्रभु तुम ही याद हो प्रभु तुम ही याद हो प्रभु तुम में ही मिलना है।।1।। सुपथ का पथ देखे हम हमें ऐसी दृष्टि देना।।2।। भले कांटे हो राहों में भले अंगारों पर चलना।।3।। मुझ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 2 164 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read हिंदी से स्वराष्ट्र की हिंदी से स्वराष्ट्र की चेतना तुम जगा दो ।। हिम से हिंद का विस्तार तुम कर दो ।।1।। मानव में प्रेम का प्रकाश तुम जगा दो ।। बढ़ रही विकृति... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 67 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read सन 1947 से पहले का दृश्य समीर तेरे आने का एक प्रभाव दिख गया । गरज रहे थे कृष्ण घन जो श्वेत कमल सा खिल गया ।।1।। अब बूंद भी बरसे तो शांत चित्तमन सब हो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत · संस्मरण 1 78 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read व्याकुल हृदय तुम हवा से आ गयी मैं समीर बन गया । तुम भोर की किरण मैं सूरज बन गया ।।1।। तुम हवा से आ गयी...... इक्तफाक रख रहे हम यूं मिल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 49 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read विरह रूप (प्रेम) तेरे मेरे है दरमियां कटती है रातें शामों सुबह । ये कैसी उलझन है बढ़ गई तेरे मेरे फसलों में कहीं ।।1।। तेरे –मेरे...... कभी ना एक पल अकेले रहे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 114 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read शब्दों के चरण में बच्चा तुम शब्दों को जैसे पिरोगे पन्नों में । वो वैसा ही आकर बनते चलेंगे ।। तुम लिखोगे उसे जब वो पुकारेंगे उसको । वो स्याही होगी उसी का दर्पण ।।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 64 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read बुजुर्ग बाबूजी मकान की चार दिवारी है जो कोने में रखे घराट है वो । जानते हैं रिश्तो की हर महीन्नता को घर के बुजुर्ग बाबू जी हैं वो ।।1।। हर मसाले... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 69 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read बेवक्त बैठा क्यों तू आस में बैठा किसके इंतजार में बैठा । तन्हाइयों से भरी थी तेरी जिंदगी क्यों ऐसे बेवक्त तू बैठा ।। क्या तू रूठ के है बैठा किसके इंतजार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 59 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read क्या मजहब के इशारे का क्या मजहब के इशारे का तुम इंतजार करोगे। तुम जिंदा हो इस जहां में कब एहसास करोगे ।। कौन है वो गुस्ताख़ जो इशारे से आता है । फूलों को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल · शेर 1 60 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read मैं मैं चला दो कदम मैं में बहकता गया । भूल गया था वो भी है जिसके आगे सब टूट गया ।। कितनों को भेज रहे हैं छंद से टूट गया... Poetry Writing Challenge-2 · Poem · कविता 1 65 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read जंगल जंगल जाने का सफर रंग बिरंगे पेड़ों के संग । आहत करती हवा भी बता रही थी पग–पग ।। आने वाली है बरसाते समेट ली मैंने वो यादें । सूखे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 67 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read युद्ध का आखरी दिन लड़े बड़े शोर से निर्भय और जोश में । अंग से अंग टूटे युद्ध के इतिहास में ।। कौन देश पाया होगा? क्या वेश पाया होगा । रक्त से रंजित... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 57 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read नेतृत्व धीर का स्वभाव वो जला सके सुषुप्त भी । प्रमुख हो प्रबुद्ध हो जीव के प्राण भी ।। एक ही हुंकार हो मानवों के देह में । जय जय कार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 73 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 21 Feb 2024 · 1 min read नन्हा घुघुट (एक पहाड़ी पंछी) मैं नन्हा घुघुत पहाड़ों का हिम के श्वेत आभाओं का तेज लेकर उड़ रहा हूं आज दशों दिशाओं का प्रेम सरोवर की गाथाएं निर्जन वन की लताएं अटल चित के... Poetry Writing Challenge-2 · Poem · कविता 1 110 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 21 Feb 2024 · 1 min read परीक्षा से वो पहली रात आज भी यादों में है मेरे वो हालात । कैसे भूल सकता हूं परीक्षा की वो रात ।।1।। जग कर रात रातों ने शब्दों के हालातों ने । मुझे विवश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 111 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 18 Feb 2024 · 1 min read मेरी उम्र का प्यार भी मेरी उम्र का प्यार भी बस आंखों तक रह गया ।। था अकेला तनहा जीवन विरह में सब शामिल था । मिला मुझे फिर नया यार वो भी मुझसा बिरला... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 91 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 17 Feb 2024 · 1 min read मैं अलहड सा वक्त दे पाया दुनियां को एक दिन किताबों से निकलकर । सोचा था दुनियाँ खूबसूरत होगी मेरे अलहड से वक्त पर ।।1।। लोग खूबसूरत थे, दिख रहे थे चन्द पैसों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल · शेर · संस्मरण 1 94 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 17 Feb 2024 · 1 min read भारत का कण–कण कहां गए वो अभिमान हमारे कहां विलुप्त हो गए हैं घर ।। जिनकी कथाओं से गर्वित होता था भारत का कण–कण ।।1।। यहां सीता की कथाओं ने यहां मीरा की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · बाल कविता 1 157 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 17 Feb 2024 · 1 min read यौवन का चिन्तन करती यौवन का चिन्तन करती आज दशों दिशाएं भी ।। उत्कृष्ट राष्ट्र को जीवित रखती ज्ञान यज्ञ की शाला ही ।।1।। उठता रहे सूरज का तप भी ज्वलित रहे चेतना सब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 55 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 15 Feb 2024 · 1 min read ढलता वक्त घर के घर आए जद में उनकी उस जिद से । जलजला नहीं सैलाब था उनके भीगे पलकों से ।।१।। शहर चमकती रोशनी में दमक रही थी दुल्हन–सी। झरने,बादल सारे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल · शेर 1 159 Share