Dr MusafiR BaithA Poetry Writing Challenge-2 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 28 दैवी शक्ति कल्पित है जैसे वैसे ही यक्ष यक्षिणी भी है कल्पनारोपित नग्न देह यक्षिणी की पता नहीं किस जमाने में कला को प्राप्त हुई पूजी अब भी जा रही... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 147 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 27 यक्ष की देह को कला न पूछे क्यों न पूछे यक्षिणी देह को कला है पूजै जोर बरजोर हिसाब से बेसी क्यों पूजै है? Poetry Writing Challenge-2 · कविता 76 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 26 जमाना इंटरनेट से रोबोटी डॉल तक सेक्स सामग्री ले आ चुका इंटरनेट जहां उभय लिंग का सहचर है डॉल वहीं अभी महज पुरुषों के काम ही आता यक्ष के अक्ष... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 91 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 25 जी जिस समाज में पत्थर भी देवता है पत्थर के लिंग और भग भी देवता प्रतिनिधि समझे जाएं समझकर पूजे जाएं जहां वहां स्तन अक्ष ढूंढ़ रमे मर्द लोग तो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 98 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-24 खुदाई में एक मूर्ति मिली मूर्ति जनानी सी बताया पारखी लोगों ने जनानी मनुष्य नहीं मनुष्येतर प्राणी वह यक्ष कोटि की देह उसकी स्त्री की देह सहज नहीं सजीली बल्कि... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 64 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 23 अजब कि कल वे आएंगे कमर कस कर आएंगे नया अजायबघर जाएंगे यक्षिणी के कमरे के पास जाएंगे यक्षिणी को अपनी लिप्त आंखों में कैद कर अभौतिक श्रद्धा सुमन चढ़ाएंगे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 112 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 22 निबरा की घरवाली गांवभर के मर्दों की भौजाई होती है तुम्हारे रूप रस गंध से चिपके उस कवि और तुम्हारे वक्ष-अक्ष पर टिके कवि गिरोह के लोगों की मार्फ़त भी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 131 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी- 21 वे बातें कर रहे हैं यक्षिणी की मगर ब्याज में पान कर रहे हैं वे मिथक के मियां की तरह पानी डूब के यक्षिणी के रूप-यौवन का गले में कांटा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 117 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-20 यक्षिणी सवर्णघिचोरों के पल्ले पड़ गयी हो तुम सवर्णनिचोड़ हो रही है तेरी तुम्हें हिन्दू मिथक कथा की अपनी पात्र द्रौपदी बनाकर वे सब दुशासनों की तरह तुम्हें उघाड़ने में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 65 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-19 द्विज मर्द योजित प्रगतिशील यक्षिणी-चर्चा में शिरकत किया करती हैं सवर्ण घर की अंगनाएँ भी समझ रहे हैं न गणित स्त्री मर्दन का कितना योजित हो सकता है हो सकता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 49 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-18 जीवन और फिल्मों में कम यक्षिणी-बदन नहीं मिलती सवर्ण अंगनाएँ मगर मूर्तियां में ये मिलतीं कहां क्यों नहीं मिलतीं बताएँ यक्षिणी-ग्राही कलाकार उन्नत नग्न वक्ष के प्रगतिशील खरीदार! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 90 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-17 कूची कलाकार की बेतरह केवल कुच पर फिरी कला सिरफिरी हरक़त हद की गिरी। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 43 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-16 कवि सरेराह सजाई जिस्म में रखी तूने तेरी प्रशंसा प्राप्त यक्षिणी की जगह तो पुराख्याल तू! पुरख्याल हो बता तेरे अपने घर में पैसी छवि कैसी है यक्षिणी की पत्नीरूपा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 69 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-15 तबीयत झोंक कर यक्षिणी को देना आकर बताता है यह यौन लिप्सा की कलाकारी है चुनांचे यह खुला खेल फर्रूखाबादी है। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 47 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-14 खुलना जब सोच समझकर आता है तो समझो खोलना कलाकारी नहीं तिज़ारत बन जाता है! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 101 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-13 एक यक्षिणी के वक्ष तेरे द्वारा खोले जाने से हट जाते हैं वस्त्र वक्ष से हर काल की हरेक युवा स्त्री के! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 66 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-12 यक्षिणी यक्षिणी खेलते रहो खोलते रहो ख़लिश अपनी ऐ खलकामी प्रगतिशील! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 83 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-11 धरती पर रहते हुए सेक्स को किसी इतर लोक से ले आते हो ढूंढ करते अपने मिजाज में फिट ऑफबीट बीट कवि को मात करने की कोशिश में पैदा करते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 45 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-10 यक्षिणी को यदि जुबान होती और उसे गढ़ने वाले मर्दों से हिसाब लेने के अधिकार तो सोचो आज के रीति-मानस कवियो! तेरा क्या हाल होता? Poetry Writing Challenge-2 · कविता 49 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-9 काम का खुला शिल्प सामंती है खुला काम शिल्प नहीं हो सकता सामंत काम का शिल्पी नहीं हो सकता यक्षिणी काम की हो सकती है काम में भी हो सकती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 61 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-8 तुम्हारे मस्तिष्क-अक्ष पर यक्षिणी-वक्ष जो ठहरा चलते इसके तुझपर काम-सनक चढ़ी है गहरी। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 54 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-7 सुन भई, बामन वस्राभरण तूने जितने बजरिये कथा-यक्षिणी देह पर उसके सजाए उससे अधिक तो आभूषण लगाए बकिये देह को रख दिया नंगा वक्ष नंगा रखा जो उसका सच सच... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 45 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-6 यक्ष प्रश्न तूने मुहावरेदार प्रश्न बनाया यह अपने प्रश्न में तूने कथित यक्ष का जवाब भी खुद ही बनाया बता ऐ बामन उत्तर तू इस दलित प्रश्न का कि यक्ष... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 52 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-5 क्यों बे बामन मनमौजी तूने यक्षिणी बनाई यक्षिणी के डीलडौल को गढ़ने में अपनी तंग-सेक्स तबीयत लगाई यह सब धतकर्म करते तुझे अपनी और अपने घर की लुगाई क्यों याद... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 45 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-4 दीदारगंज की यक्षिणी को बनाये हुए हो तुम मशहूर परम अर्थी क्यों कोई तो बात होगी हुजूर क्यों बे गंज अगंज वासी दीदारार्थी! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 60 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-3 यक्षिणी की भक्ति आसक्ति में अपनी एक मनुमानस-जीवी कवि ने पूरी किताब ही लिख डाली है अब ऐसी भक्ति का क्या कहिए जब कवि मनोचिकित्सा की प्रैक्टिस भी कर रहा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 58 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी - 2 यक्ष यक्षिणी एक मिथकीय कल्पना है न जाने किस खुराफ़ाती ने सिरजा इसे किसने फिर प्रस्तर पर दिया इसे उतार उतारने में यक्ष को दिया बिसार और यक्षिणी को गहरे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 117 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी -1 पटना के दीदारगंज की प्रसिद्ध है यक्षिणी की मूर्ति प्रसिद्ध है खास मर्दों के बीच इसकी पुष्टि को किसी मर्दमशुमारी की जरूरत नहीं उसके गदराए बदन और अधिपुष्ट उन्नत वक्ष... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 57 Share